डेली संवाद, जालंधर
गुलाब देवी अस्पताल स्थित रक्त वाहिनी इंडिया के ब्लड बैंक में शुक्रवार रात जो हंगामा हुआ वह शनिवार को भी सारा दिन चला। हंगामे के बीच शाम को बात निकलकर सामने आई वो यही थी कि ब्लड बैंक में भारी अनियमितताओं का प्रयोग किया जा रहा था। अब सवाल ये है कि अनियमितताओं से भरे खून को सप्लाई करके मरीज की जान से खिलवाड़ किया जा रहा था। आशंका इस बात की है कि जिन मरीजों को यहां से खून सप्लाई किया जा चुका है उन्हें सही खून चढ़ाया गया या नहीं ये भी जांच का विषय है।
शाम को आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में ड्रग लाइसेंस अथारिटी तरुण सचदेव व अन्य विभागीय अधिकारियों ने बताया कि रक्तवाहिनी इंडिया के जितने भी ब्लड बैंक चल रहे हैं उनमें से दो में जांच टीम भेज दी गई है और बाकियों में जल्द भेजी जाएगी। सचदेव ने बताया कि उनकी टीम ने 44 ब्लड बैग सील किए हैं। इन बैगों में 24 यूनिट खून था जोकि फ्रिज से बाहर पड़ा था। उन्होंने कहा कि प्रमुख तौर पर चार अधिकारियों भूपिंदर सिंह, रामदास, बबलू समेत 3 लोगों का नाम का सामने आ रहा है।
उन्होंने कहा कि ब्लड बैंक का लाइसेंस बीआरटी डा. हरजीत सिंह पर है इसलिए वो भी जांच के दायरे में है। उन्होंने कहा कि ड्रग एवं कॉस्मेटिक अथारिटी के पास मौके पर गिरफ्तारी का अधिकार नहीं है लेकिन मरीजों की जान से खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। प्रैस कांफ्रेंस के दौरान माहौल उस समय हंगामा हो गया जब ब्लड डोनर्स एसोसिएशनों से जुड़े जतिन मट्टू, विनीत पुरी, सिकंदर गुप्ता ने कहा कि इस पूरे मामले के जो दोषी हैं उन्हें बचाने की कोशिश की जा रही है।
कल रात से स्टाफ सदस्य ये बात कुबूल कर रहे हैं कि वह उक्त डाक्टर के सुपरविजन में सारा काम कर रहे हैं लेकिन उन पर कार्रवाई नहीं हो रही। खून की थैलियों पर सिर्फ ब्लड ग्रुप लिखा था। यह नहीं लिखा था कि इसका डोनर कौन है, यह किस तारीख को निकाला गया और यह कब तक इस्तेमाल किया जा सकता है।
आशंका जताई जा रही है कि ब्लड बैंक बड़े पैमाने पर दूसरे शहरों से खून लाकर यहां फर्जी तारीखें डालकर बेचा जा रहा था। यही नहीं एक ब्लड बैग नंबर के एक से अधिक खून के यूनिट जारी किए जा रहे थे। सबसे ज्यादा चौंकाने वाली बात यह है कि कैमिकल मिलाकर एक ही ब्लड यूनिट के दो दो यूनिट भी बनाए जा रहे थे। फर्जी एंट्रीज करने के लिए दो अलग-अलग रजिस्टर लगाए गए थे। अगर बीबीसी परुथी को एक ही नंबर के दो यूनिट न जाते तो शायद इस फर्जीवाड़े का खुलासा कभी नहीं हो पाता।