तेजिंदर बिट्टू ने 300 करोड़ मुनाफे में छोड़ा था, फिर कैसे हुए ट्रस्ट कर्जदार, कौन हैं जिम्मेदार, पढ़ें
डेली संवाद, जालंधर
साल 2007 में चेयरमैन रहे तेजिंदर सिंह बिट्टू ने इंप्रूवमेंट ट्रस्ट को न केवल मुनाफे में लाकर खड़ा किया था, बल्कि पब्लिक की सहूलतें भी बेहतर की थी। सूर्या एंक्लेव समेत जो भी स्कीमें आज चल रही हैं, वह सभी तेजिंदर सिंह बिट्टू की देन है। 2007 में बिट्टू जब चेयरमैन से हटे तब इंप्रूवमेंट ट्रस्ट 300 करोड़ रुपए के मुनाफे में था, अब स्थिति यह है कि ट्रस्ट 150 करोड़ के घाटे में हैं। ट्रस्ट एनपीए घोषित हो गया है, कोई भी बैंक कर्ज देने को तैयार नहीं है। जिससे पंजाब नैशनल बैंक अब स्टेडियम के बाद अऩ्य संपत्तियों पर कब्जा ले रहा है।
करीब 150 करोड़ रुपए के कर्जे में डूबे इंप्रूवमेंट ट्रस्ट की सबसे प्राइम जगह गुरु गोबिंद सिंह स्टेडियम सांकेतिक रूप से सील कर दिया है। इसके बाद आज पीएनबी की टीम ने आज सूर्या एंक्लेव और गुरु गोबिंद सिंह एवेन्यू में ट्रस्ट की संपत्तियों पर कब्जा किया। वहां बैंक ने अपने बोर्ड लगा दिए हैं।
ट्रस्ट घाटे में कैसे पहुंचा, इसकी जांच हो – राजन गुप्ता
गुरु गोबिंद सिंह एवेन्यू वेलफेयर सोसाइटी के प्रधान और इंडस्ट्रयिलिस्टस राजन गुप्ता ने कहा है कि 2007 में इंप्रूवमेंट ट्रस्ट 300 करोड़ रुपए के मुनाफे में था। तब चेयरमैन रहे तेजिंदर सिंह बिट्टू ने ट्रस्ट की कई स्कीम भी शुरू की। लेकिन 10 साल बाद ट्रस्ट 150 करोड़ के घाटे में कैसे पहुंच गया, इसकी जांच होनी चाहिए।
यह है पूरा मामला
जुलाई में सील करने का नोटिस मिलने के बाद ट्रस्ट अधिकारी ने पैसे जमा करवाने शुरू किए। 12 जुलाई से 15 अगस्त तक 1.40 करोड़ रुपए जमा हुए। सील करने वाले दिन 13 जुलाई को 60 लाख रुपए बैंक में जमा हुए, 19 जुलाई को 40 लाख, 24 जुलाई को 30 लाख रुपए जमा हुए। मोहलत खत्म होने से एक दिन पहले 14 अगस्त को 10 लाख रुपए जमा हुए। 31 मार्च को ट्रस्ट का अकाऊंट एन.पी.ए. (नॉन परफॉर्मिंग असैट) होने के बाद से अब तक 1.65 लाख रुपए जमा हुए क्योंकि 10 लाख रुपए मार्च के बाद जमा करवाए गए थे।
2011 में लिया था 175 करोड़ का लोन
इम्प्रूवमैंट ट्रस्ट ने 2011 में 94.97 एकड़ सूर्या एन्क्लेव एक्टैंशन स्कीम हेतु पंजाब नैशनल बैंक की जी.टी. रोड शाखा से 175 करोड़ का लोन लिया था। उक्त स्कीम बेहद बुरी तरह से फ्लाप हुई जिसके बाद ट्रस्ट की कोई और स्कीम नहीं आ पाई और ट्रस्ट आर्थिक तौर पर कमजोर होता चला गया। मौजूदा समय में ट्रस्ट की आर्थिक हालत बेहद खराब है।