नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने 150 साल पुराने कानून को खारिज कर दिया है. देश के 150 साल पुराने एडल्टरी लॉ पर फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संविधान में महिला और पुरुष दोनों को बराबरी का अधिकार दिया गया है. सीजेआई दीपक मिश्रा ने कहा कि महिलाओं को समाज के हिसाब से सोचने के लिए नहीं कहा जा सकता है. लेकिन अगर हम प्राचीन काल की बात करें तो अलग-अलग देशों और धर्मोंं में एडल्टरी को अलग-अलग तरीके देखा गया है. प्राचीन यूनान और रोम में पुरुषों और महिलाओं के शारीरिक संबंधों पर कोई पाबंदी नहीं थी. वो संबंध बनाने में उन्मुक्त थे. विवाह संस्था उन दिनों वहां बहुत कमजोर थी.ये बात भी है कि प्राचीन समय में धर्मों और समाजों ने विवाह के परे शारीरिक संबंधों यानि एडल्टरी को लेकर अलग व्यवस्थाएं दी हुई थीं. मौजूदा दौर में एडल्टरी को धार्मिक कानूनों में अलग तरह से ट्रीट किया गया है. एडल्टरी का सीधा मतलब ये है कि जब कोई विवाहित पुरुष या महिला शादी के परे जाकर किसी अन्य पुरुष या महिला से शारीरिक संबंध बनाता तो ये एडल्टरी यानि व्यभिचार की श्रेणी में आता है।
प्राचीन समय में यहूदियों में पुरुषों की बेवफाई अपराध नहीं मानी जाती थी. अगर कोई महिला ऐसा करती थी तो उसे गुनहगार माना जाता था. प्राचीन यहूदीवाद में धार्मिक कानून कहते थे कि शादी के समय लड़की वर्जिन होगी और कभी भटकेगी नहीं जबकि पुरुषों को दूसरे पुरुषों की बीवियों से अफेयर करना मना था. लेकिन धीरे धीरे ये नियम पुरुषों के लिए शिथिल होते गए. हालांकि नए कानूनों ने दोनों को समान धरातल पर ला दिया है. एडल्टरी के मामले में यहूदी दंपति आपसी सहमति से विवाह को खत्म कर सकते हैं. दोनों के लिए नैतिकता के पैमाने एक जैसे हैं।
प्राचीन यूनान और रोम में पुरुष अपनी सेक्स भूख और सेक्स अतिरेक के कारण जाने जाते थे. उन दिनों वहां विवाह संस्था कमजोर थी. एक पुरुष के कई उपपत्नियां और ‘रखैल’ होती थीं. मोटेतौर पर रोम उन दिनों बड़े व्यभिचारी समाज में तब्दील हो गया था. पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए एडल्टरी बहुत मुक्त और आम बात थी।
ईसाइयत का शुरुआती दौर
11वीं सदी तक पुजारियों के लिए ब्रह्मचर्य अनिवार्य नहीं था. शुरुआती ईसाई धार्मिक नेताओं ने यहूदियों की सख्त सेक्शुअल संहिता को लागू किया. ब्रह्मचर्य को आदर्श मानना शुरू हुआ. व्यभिचार को पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए पाप कर्म माना जाने लगा।
मौजूदा दौर में पश्चिमी देशों में धार्मिक तौर पर एडल्टरी को पापकर्म या गुनाह की तरह देखा जाता है. वैसे वहां बहुत से वर्ग हैं, जहां बहुविवाह प्रथा जारी है और कई पत्नियां रखी जाती हैं. ईसाइयों की ही एक मोरमोन कम्युनिटी है जहां एक व्यक्ति को कई बीवियां रखने या कई शादियां करने की अनुमति है. उनके अपने अलग चर्च हैं. अफ्रीका और हिमालय में कई ऐसे कबीले और वर्ग हैं, जहां महिलाएं कई पुरुष रखती हैं।