ढाका। बांग्लादेश की एक अदालत ने बुधवार को 2004 के ग्रेनेड हमला मामले में पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया के भगोड़े बेटे तारिक रहमान समेत 19 को उम्रकैद और 19 फांसी की सजा सुनाई। इनके अलावा 11 अन्य लोगों को जेल की सजा दी गई है। इस हमले में 24 लोग मारे गए थे और उस समय विपक्षी पार्टी की प्रमुख रहीं शेख हसीना सहित करीब 500 लोग घायल हो गए थे।
ढाका के फास्ट ट्रैक न्यायाधिकरण के न्यायाधीश शाहिद नुरुद्दीन ने यह फैसला सुनाया, जिसमें रहमान समेत 18 लोगों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई। पूर्व गृह राज्य मंत्री लुत्फोजमां बाबर उन 19 लोगों में शामिल है, जिन्हें अदालत ने मृत्युदंड सुनाया जबकि 11 अन्य लोगों को जेल की सजा दी गई। आरोपियों को अदालत लाने के दौरान राष्ट्रीय राजधानी में सुरक्षा कड़ी कर दी गई थी।
ये है पूरा मामला
न्यायाधीश ने हमले की पृष्ठभूमि, मकसद और परिणामों पर गौर करते हुए कहा, ‘जांच में पाया गया कि रहमान समेत बीएनपी नीत सरकार के प्रभावी धड़े ने आतंकवादी संगठन हरकतुल जिहाद अल इस्लामी के आतंकवादियों से यह हमला कराने की योजना बनाई थी और हमले को प्रायोजित किया था। मामले में रहमान, बाबर समेत दो पूर्व मंत्रियों और पूर्व पुलिस एवं खुफिया अधिकारियों सहित 49 लोगों को आरोपी बनाया गया था।’
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बुधवार को 49 दोषियों में से 31 को अदालत के समक्ष पेश किया गया था जबकि अन्य को उनकी अनुपस्थिति में सजा सुनाई गई। बांग्लादेश के गृहमंत्री असदुजमां खान कमाल ने फैसले के बाद कहा, ‘हम भगोड़े दोषियों को वापस लाने के लिए कदम उठा रहे हैं। गौरतलब है कि यह फैसला दिसंबर में होने वाले चुनाव से पहले आया है।
शेख हसीना को लक्ष्य बनाकर हमला किया था
बांग्लादेश की मौजूदा प्रधानमंत्री शेख हसीना को लक्ष्य बनाते हुए यह हमला 21 अगस्त 2004 को अवामी लीग की एक रैली पर किया गया था। हसीना इस हमले में बच गईं थीं लेकिन उनके सुनने की क्षमता को कुछ नुकसान हुआ था। जांचकर्ताओं का कहना है कि हमले का मुख्य लक्ष्य हसीना थी। हसीना हमले में घायल हो गईं थीं जबकि जबकि पार्टी की महिला मोर्चे की प्रमुख एवं पूर्व राष्ट्रपति जिल्लुर रहमान की पत्नी इवी रहमान की मौत हो गई थी।
जालंधर के सीटी इंस्टीट्यूट के हास्टल में रहते थे आतंकवादी
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