डीजीपी ने कहा- दूसरे राज्यों के किसी भी विद्यार्थी की देशभक्ति पर उंगली उठाने का सवाल ही पैदा नहीं होता
महाबीर सेठ
डेली संवाद, जालंधर
पंजाब पुलिस प्रमुख (डीजीपी) सुरेश अरोड़ा ने आज कहा है कि अमृतसर रेल हादसे की अपराधिक जि़म्मेदारी तय करने के लिए ए.डी.जी.पी. (रेलवे) इकबाल प्रीत सिंह सहोता को जांच सौंपी गई है। डी.जी.पी. ने कहा कि किसी न किसी तरफ़ से तो लापरवाही हुई है और इसकी जि़म्मेदारी तय करने के लिए जांच के हुक्म दिए गए हैं।
आज यहां 59वें पुलिस यादगारी दिवस परेड के दौरान पत्रकारों के साथ बातचीत करते हुए डीजीपी अरोड़ा ने कहा कि यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण और दिल दहला देने वाली घटना है जिस कारण पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने जालंधर के डिविजऩल कमिशनर बी. पुरूषार्थ को इसकी जांच करने के हुक्म दिए हैं, जो चार हफ़्तों में जांच रिपोर्ट सौंपेंगे।
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डी.जी.पी. ने कहा कि पंजाब पुलिस द्वारा किसी भी विद्यार्थी ख़ासकर कश्मीरी विद्यार्थी की देशभक्ति पर उंगली उठाने का सवाल ही पैदा नहीं होता। उन्होंने कहा कि किसी भी विद्यार्थी की तरफ से मुल्क के किसी भी हिस्से में जाकर मानक शिक्षा हासिल करने को यकीनी बनाना हमारा नैतिक फर्ज बनता है। इसके साथ ही अरोड़ा ने कहा कि यदि कोई नागरिक कानून का उल्लंघन करता है तो उसके खि़लाफ़ कानून अपना रास्ता इख्तियार करेगा।
राज्य के पुलिस प्रमुख ने कहा कि उन्होंने जिलों के पुलिस मुखियों को पहले ही हिदायतें जारी करके कहा है कि शैक्षिक संस्थाओं में तालीम हासिल कर रहे विद्यार्थियों के साथ विस्तृत विचार-विमर्श करके भरोसा दिया जाये कि उनकी किसी भी तरह की मुश्किल में सहायता के लिए पुलिस उपस्थित है।
बाहरी राज्यों के विद्यार्थियों की शिकायतों के निपटारे के लिए ए.डी.जी.पी. और आई.जी. नोडल अफ़सर नियुक्त
अरोड़ा ने कहा कि मुल्क के किसी भी हिस्से से आए विद्यार्थियों के साथ परायों जैसा व्यवहार करने का सवाल ही पैदा नहीं होता। उन्होंने बताया कि यदि कोई शिकायत है तो इसके हल के लिए ए.डी.जी.पी. (कम्युनिटी पुलिसिंग) ईश्वर सिंह और आई.जी. वी. नीरजा को नोडल अफ़सर नियुक्त किया गया है। डी.जी.पी. ने कहा कि किसी किस्म की समस्या के लिए विद्यार्थी इन अधिकारियों के साथ संपर्क स्थापित कर सकता है।
डी.जी.पी. ने कहा कि नौजवानों को गुमराह करने के लिए सोशल मीडिया पर की जा रही भद्दी कोशिशों के प्रति सख्ती से निपटा जायेगा। उन्होंने कहा कि साल 1984 -1994 के काले दौर के दौरान भी ऐसी ही चालें चली गई थीं परन्तु नौजवानों को ऐसे यत्नों से दूर रहना चाहिए। अरोड़ा ने कहा कि नौजवानों को इस रास्ते पर चलने की बजाय मुल्क ख़ासकर राज्य के सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए खुलकर योगदान देना चाहिए।
उन्होंने कहा कि पंजाब पुलिस के लिए यह गर्व की बात है कि साल 1981 से 2017 तक 2719 पुलिस अफसरों और कर्मचारियों ने मुल्क की एकता और अखंडता और अमन -शान्ति की रक्षा की ख़ातिर अपनी जानें न्यौछावर कर दीं। अरोड़ा ने कहा कि इन शहीदों का अतुल्य बलिदान पुलिस अफसरों /मुलाजिमों की नई पीढ़ी को अपनी मातृ भूमि की ख़ातिर मर -मिटने के लिए हमेशा प्रेरित करती रहेगी।
डी.जी.पी. ने मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह द्वारा आतंकवाद के विरुद्ध लड़ते हुए शहीद होने वाले अफसरों की विशेष परिवार पैंशन बहाल करने के फ़ैसले की प्रशंसा की। उन्होंने बताया कि साल 2014 में पैंशन में लगे कट की बजाय परिवारों को लाल कार्ड की सुविधा सहित पूरी पैंशन मिलेगी। उन्होंने कहा कि पंजाब पुलिस अपने महान नायकों के प्रति हमेशा ऋणी रहेगी जिनके बहादुरी भरे कारनामों ने पंजाब फोर्स की शान बढ़ाई।
इन अफसरों ने शहीदों को श्रद्धा भेंट किए
इस दौरान डी.जी.पी. ने शहीदों को श्रद्धा के फूल भेंट किये। इस अवसर पर डी.जी.पी. एम.के. तिवाड़ी, डी.जी.पी. (सेवा-मुक्त) एम.एस. भुल्लर, ए.डी.जी.पीज़ गौरव यादव, कुलदीप सिंह, शशि प्रभा द्वेदी, संजीव कालड़ा, आई.जी. जसकरन सिंह, आर.पी.एस. बराड़, अमर सिंह चाहल, नौनिहाल सिंह और प्रमोद बान, पुलिस कमिशनर गुरप्रीत सिंह भुल्लर, डी.आई.जी. एस.के. कालिया और पवन उप्पल, डिप्टी कमिश्नर जालंधर वरिन्दर कुमार शर्मा, कमांडैंट राजिन्दर सिंह और राज पाल सिंह संधू, एस.एस.पी. नवजोत सिंह माहल और अन्य भी उपस्थित थे।
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