डेली संवाद, चंडीगढ़
पंजाब सरकार ने राज्य में गलाईफोसेट की बिक्री पर पाबंदी लगा दी है। राज्य में लगभग सभी फसलों के विभिन्न प्रकार के खरपतवारों पर काबू पाने के लिए इसका प्रयोग बड़े स्तर पर किया जाता है।
यह देखा गया है कि यह रसायन ग्रुप ए कैंसर का कारण बन सकता है और पी.जी.आई. चण्डीगढ़ के माहिरों की राय के अनुसार यह रसायन कैंसर के अलावा अन्य बीमारियों का कारण बनने के लिए भी जाना जाता है और यहाँ तक कि मानवीय डी.एन.ए. को भी नुक्सान पहुँचा सकता है।
इन रसायनों पर भी पाबंदी
गलाईफोसेट मुल्क में राउंड अप, ऐक्सल, गलाईसैल, गलाईडर, गलाईडोन, स्वीप, गलाईफोजैन आदि नामों अधीन बेचा जाता है। पंजाब राज्य किसान आयोग ने भी राज्य में इस रसायन की बिक्री पर रोक लगाने की सिफ़ारिश की थी।
राज्य के कृषि सचिव श्री के.ऐस. पन्नू ने बताया कि भारत सरकार के सैंट्रल इन्सैक्टीसाईड बोर्ड एंड रजिस्ट्रेशन कमेटी ने भी इस नदीनाशक का प्रयोग सिफऱ् चाय के बाग़ों और ग़ैर-कृषि क्षेत्र के लिए करने की सिफ़ारिश की है।
इसी कारण इन्सैक्टीसाईड एक्ट -1968 अधीन इन्सैक्टीसाईड बोर्ड एंड रजिस्ट्रेशन कमेटी की शर्तों के मुताबिक गलाईफोसेट के मौजूदा लेबल का सख्ती से पालन किये जाने की ज़रूरत है।
राज्य में चाय का उत्पादन नहीं होता है
राज्य में चाय का उत्पादन नहीं होता है और राज्य में 200 प्रतिशत कृषि गहनता होने के कारण ग़ैर -फ़सलीय क्षेत्र भी बहुत कम है। यहाँ तक कि यह ग़ैर-कृषि क्षेत्र भी जैसे कि मेढ़, वाटर चैनल, बांधों पर फसलों का उत्पादन तथा खेतों, बाग़ों, नहरों /नालों के किनारों वाले कुछ इलाकों से सम्बन्धित है। इस कारण यह क्षेत्र भी फ़सलीय क्षेत्र का ही हिस्सा है।
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