गैलीपोली (तुर्की)। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भारतीयों समेत राष्ट्रमंडल देशों के सैनिकों को श्रद्धांजलि भेंट करने के लिए ऐतिहासिक विश्व युद्ध-1 हेलेस मेमोरियल का दौरा किया। इन सैनिकों ने गैलीपोली मुहिम के दौरान अपनी जानें न्यौछावर की थी।
पहले विश्व युद्ध की समाप्ति की 100वीं वर्षगांठ के मौके पर मुख्यमंत्री सेयित अली वाबूक की यादगार तुरकिश मेमोरियल में भी गए। सेयित अली वाबूक को आम तौर पर कोरपोरल सेयित के तौर पर जाना जाता है जो कि पहले विश्व युद्ध के दौरान ओटोमैन सेना के गन्नर थे। उसे 18 मार्च, 1915 को डारडैनेलिस के द्वारा इतहादी सेना के द्वारा की गई कोशिश के दौरान एक तोपखाने की टुकड़ी में बारूद के तीन गोले लेकर घुसने के लिए जाना जाता है।
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कैप्टन अमरिंंदर सिंह ने हेलेस मेमोरियल या कॉमनवैल्थ वार गरेवज़ कमिशन मेमोरियल में कई मिनट गुज़ारे। यह यादगार तुर्की में सेद ऐल बहर के नजदीक है। उन्होंने पंजाब के लोगों द्वारा यादगार में फुलमालाएंं भेंट की और कुछ सैनिकों की कब्रों पर फूल अर्पित किये।
इसके अलावा उन्होंने वर्ष 1915-16 के दौरान गैलीपोली मुहिम के दौरान जानें न्यौछावर करने वाले सैनिकों को भी श्रद्धांजलि भेंट की। यह यादगार कॉमनवैल्थ के 20956 सैनिकों की यादगार में बनाई गई है। इन्होंने पहले विश्व युद्ध के दौरान इस इलाके की मुहिम में अपना बलिदान दिया था। ब्रिटिश और इंडियन फोर्सज़ के जिन सैनिकों ने अपनी जानें दी थी, उनके नाम यादगार में उकेरे हुए हैं।
विश्व युद्ध के दौरान अपना महान बलिदान देने वाले बहादुर सैनिकों को मुख्यमंत्री ने सैल्यूट दिया। उन्होंने अपनी मातृ-भूमि से बहुत दूर इस धरती पर मारे गए और दफनाए गए भारतीय सैनिकों के योगदान की सराहना की। हेलेस मेमोरियल में भी भारतीय सैनिकों के नाम हैं। इस जंग में बड़ी संख्या में सिख सैनिक भी मारे गए थे।
मुख्यमंत्री के साथ खेल मंत्री राणा गुरमीत सिंह सोढी, एडवोकेट जनरल अतुल नन्दा, मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार रवीन ठुकराल और सलाहकार बी.आई.एस चाहल भी उपस्थित थे।
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