डेली संवाद, जालंधर
करोड़ों रुपए की सरकारी जमीन पर काबिज लोगों को नगर निगम और इंप्रूवमेंट ट्रस्ट की तरफ से एक सप्ताह की मोहलत मिल गई है। जिससे अब यहां दीवाली के बाद कार्रवाई होगी। सबसे बड़ा सवाल यह है कि करोड़ों रुपए की जमीन आखिर क्यों खाली नहीं हो रही है। क्या इस पर कोई माफिया का कब्जा है। आखिर क्यों कुछ लोग इस कार्रवाई का विरोध कर रहे हैं।
न्यू मॉडल टाऊन के साथ लगते लतीफपुरा व न्यू मॉडल टाऊन के बीच से गुजरती 120 फुटी सड़क पर हुए कब्जे पर राजनीति होने लगी है। कांग्रेस की कौंसलर अरुणा अरोड़ा और अकाली दल के नेता सरबजीत सिंह मक्कड़ इस कार्रवाई के खिलाफ हैं। हैरानी की बात तो यह है कि लतीफपुरा की सरकारी जमीन खाली करवाने के लिए कोर्ट ने आदेश जारी किया, लेकिन दो नेताओं के कारण यहां विरोध शुरू हो गया है।
कौंसलर अरुणा अरोड़ा कहती हैं कि लतीफपुरा में पाकिस्तान से उजड़ कर आया परिवार बसा है। वे कहां जाएंगे। जबकि अकाली दल के नेता सरबजीत मक्कड़ कहते हैं कि कांग्रेस धक्केशाही कर लोगों को हटाना चाहती है। असल बात तो यह है कि सरकारी जमीन पर इनकी आड़ में कुछ माफिया कब्जा कर बैठे हैं। जो नहीं चाहते हैं कि यहां से कब्जा हटे।
हाल यह है कि सरकारी जमीन पर कब्जा करने वालों ने यहां शराब का ठेका भी खोला हुआ है। पूरी तरह से कंगाल हो चुके इंप्रूवमेंट ट्रस्ट की निगाहें इसी जमीन पर है। क्योंकि प्राइम लोकेशन होने के कारण इस जमीन के कई खरीददार बैठे हैं। यह जमीन बेचकर न केवल इंप्रूवमेंट ट्रस्ट अपनी कंगाली दूर कर सकेगा, बल्कि कई रुके हुए काम शुरू हो सकेंगे।
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