शायर मुनव्वर राणा की बेबाकी, बोले- देश में मर्दों के साथ भी होता है #Metoo, पर पुरुष रहते हैं चुप

Daily Samvad
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शाहजहांपुर। अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त शायर मुनव्वर राना ने बॉलीवुड से लेकर राजनीति तक में तूफान खड़ा करने वाले मी टू के सवाल मर्दों की हिमायत करते हुए कहा कि बहुत से मर्दों के साथ भी मी टू होता है, पर इसे कोई भी मानेगा नहीं।

मर्द एक ऐसे दुकानदार की तरह होकर रह गया है, जो किसी को मारे या मार खाए। बेईमान दुकानदार ही कहलाएगा। मी टू में शामिल 99 प्रतिशत महिलाएं ढेर सारे मी टू में शामिल हैं। बोले-विदेश मंत्री रहे बेचारे एमजे अकबर जैसे राजनीतिज्ञ बिना वजह आरोपों के घेरे में आ जाते हैं।

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ओसीएफ इस्टेट के अखिल भारतीय कवि सम्मेलन व मुशायरे में शिरकत करने आए अंतर्राष्ट्रीय शायर मुनव्वर राना ने पत्रकारों से बातचीत की। उन्होंने कहा कि इस वक्त साम्प्रदायिकता का मी टू भी चल रहा है। कुछ कहना, लिखना सब बेकार है। इसलिए, दुनिया में कुछ भी कहीं भी और कोई भी पागलों के लिए नहीं लिखता है।

देश साम्प्रदायिकता के डेंगू का शिकार हो गया है, जो मुल्क के लिए अच्छा नहीं है। उन्होंने पहले और अब मुशायरों में तुलना भी की। उन्होंने कहा कि पहले अच्छे शेरों पर दाद दी जाती थी और खराब शायरी को पसंद किया जा रहा है। जहां एक तरफ शायरी का क्लास खराब हुआ, वहीं सुनने वालों का भी।

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पुरानी यादों को ताजा करते हुए कहा कि 20 से 25 साल पहले शायरी में साम्प्रदायिकता नहीं थी। बेवजह धर्म नहीं था। लेकिन, अब शायरी बाबा रामदेव का खिचड़ा बन गई है। अब कोई भी शायर पूरी गजल पढ़ने की हिम्मत नहीं कर पाता है। इस वक्त पहले सुनने वालों में करंट देखते हैं।

शायर कव्वाल होकर रह गया है। उन्होंने कहा कि पहले शायर लहजे से पहचाना जाता था। अब कोई अंदाज नहीं बचा है, सब तीरंदाज हो गए हैं। मुजरे होना बंद हुए तो तालियां शायरी में आ गईं। सुनने वाले कुछ भी करें, उससे सुनाने वाले का मयार खराब नहीं होना चाहिए।
शायर मुनव्वर राना ने अपने अंदाज में शेर पढ़कर बात को खत्म किया। सुनाया-

शहर को फिरका परस्ती की बवा खा जाएगी,
यह बुजुर्गों की कमाई दाशता खा जाएगी।
अपने घर में सर झुकाए हुए आया हूं मैं
इतनी मजदूरी तो बच्चे की दवा खा जाएगी।।

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