देहरादून। कभी पान बेचकर अपना गुजारा करने वाले भाजपा नेता ने मेयर बनकर सबको चौंका दिया है। देहरादून के नए मेयर सुनील उनियाल गागा ने सभी को चौंकाया है। जिस नगर निगम ने उनकी दुकान अतिक्रमण में हटाकर उन्हें बेरोजगार कर दिया उसी नगर निगम में वे आज मेयर के पद पर आसीन हुए हैं।
वर्ष 1989 में जब नगर पालिका देहरादून के चुनाव हुए तो 27 वर्ष के सुनील उनियाल गामा ने फालतू लाइन वार्ड से बतौर निर्दलीय प्रत्याशी सभासद पद पर ताल ठोकी, लेकिन अनुभवहीन और राजनीति के नए खिलाड़ी गामा को करारी हार का सामना करना पड़ा। वह चौथे स्थान पर रहे।
इस हार के बाद उन्होंने बिना तैयारी चुनाव लड़ने से तौबा की। उसके बाद उन्होंने वर्षों तक भाजपा संगठन में खुद को मजबूत किया। लोगों के बीच रहकर काम किया। तीन दशक से उस हार की टीस रह-रहकर उन्हें परेशान करती रहती। उसका जिक्र वह गाहे-बगाहे अपनों के बीच भी करते रहते थे।
आखिर 30 साल बाद वह मेयर पद पर जीत हासिल कर उस टीस को मिटाने में कामयाब रहे। मूलत: ढुंगसिर थापली गांव, टिहरी गढ़वाल निवासी सुनील उनियाल का परिवार कई दशक पूर्व देहरादून में आकर बस गया था। गामा का जन्म भी दून में ही हुआ। उनके पिता स्वर्गीय सत्य प्रकाश उनियाल जाने-माने ज्योतिषी और मां प्रेमा देवी गृहिणी थी।
पढ़ाई के बाद पान की दुकान खोली
गांधी इंटर कॉलेज से पढ़ाई करने के बाद उन्होंने वर्ष 1981 में पान की दुकान खोली। कुछ समय बाद उन्होंने नटराज पिक्चर हॉल के बाहर खाने-पीने के सामान की दुकान भी खोली। वर्ष 2000 तक उन्होंने यह दुकान भी चलाई। उसी वर्ष अतिक्रमण हटाओ अभियान के तहत उनकी दुकान भी हटा दी गई। इसके बाद गामा ने करीब 15 वर्ष तक कई अलग-अलग काम किए। (कंटेंट-अमरउजाला)
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