जम्मू-कश्मीर में क्यों और कैसे भंग हुई विधानसभा, पढ़ें पूरे घटनाक्रम की 10 बड़ी बातें

Daily Samvad
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नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर में गठबंधन के जरिए सरकार बनाने के लिए दो पार्टियों की ओर से दावा ठोके जाने के बाद राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने विधानसभा ही भंग कर दिया। PDP नेता महबूबा मुफ्ती ने विरोधी नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश किया तो उधर दो विधायकों वाली पीपुल्स कांफ्रेंस मुखिया सज्जाद लोन न (Sajad Lone) ने भी बीजेपी (BJP) और अन्य विधायकों के समर्थन की बात कहकर राज्यपाल के सामने दावेदारी कर दी।

राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने सरकार बनाने के लिए विधायकों की खरीद-फरोख्त की आशंका जताते हुए विधानसभा भंग कर दी. उन्होंने इस कार्रवाई के समर्थन में चार कारण भी गिनाए. ये कारण राजभवन की ओर से बकायदा लिखित रूप में जारी किए गए।

जाने कैसे भंग की गई विधानसभा

  • जम्मू-कश्मीर में पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती ने कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस के साथ मिलकर सरकार बनाने का दावा करने वाला पत्र फैक्स से राज्यपाल को भेजा. हालांकि राजभवन ने ऐसा कोई फैक्स मिलने से इन्कार कर दिया. जिसके बाद महबूबा ने राज्यपाल को संबोधित पत्र ट्वीट किया और कहा कि वह फोन या फैक्स के जरिए राज्यपाल से संपर्क करने में विफल हैं, इस नाते ट्वीट का सहारा ले रहीं हैं।
  • महबूबा मुफ्ती ने राज्यपाल सत्यपाल मलिक को लिखे पत्र में कहा कि राज्य विधानसभा में पीडीपी सबसे बड़ी पार्टी है, जिसके 29 सदस्य हैं. उन्होंने लिखा, ‘आपको मीडिया की खबरों में पता चला होगा कि कांग्रेस और नेशनल कान्फ्रेंस ने भी राज्य में सरकार बनाने के लिए हमारी पार्टी को समर्थन देने का फैसला किया है. नेशनल कान्फ्रेंस के सदस्यों की संख्या 15 है और कांग्रेस के 12 विधायक हैं. अत: हमारी सामूहिक संख्या 56 हो जाती है।
  • महबूबा के बाद पीपुल्स कांफ्रेंस के लीडर सज्जाद लोन (Sajad Lone) ने भी बीजेपी (BJP) के समर्थन से सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया. . सज्जाद लोन ने दावा किया कि उन्हें बीजेपी के 26 विधायकों के अलावा 18 अन्य विधायक भी समर्थन कर रहे हैं और यह आंकड़ा बहुमत का है. सज्जाद लोन ने राज्यपाल सत्यपाल मलिक को लिखे पत्र में कहा कि उनके पास सरकार बनाने के लिए जरूरी आंकड़ें से अधिक विधायकों का समर्थन है. दोनों ओर से दावेदारी की खबरें आने के बाद राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने विधानसभा भंग कर दी।
  • जम्मू-कश्मीर में जब पीडीपी की अगुवाई में कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस के बीच गठबंधन की खिचड़ी पकने लगी, तभी बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व की इस मसले पर बैठक हुई. भरोसेमंद सूत्रों के मुताबिक बीजपी के महासचिव राम माधव सज्जाद लोन को समर्थन देकर बीजेपी के सपोर्ट से सरकार बनाना चाहते थे. मगर पार्टी आलाकमान ने किसी भी तरीके से जोड़तोड़ करने से हाथ खड़े कर दिए. उस बैठक में यह भी तय हुआ कि न तो खुद जोड़तोड़ कर सरकार बनाएंगे और न ही किसी दूसरे को बनाने देंगे।
  • भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने जम्मू कश्मीर के बदले राजनीतिक हालात पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि बेहतर विकल्प यह है कि वहां जल्द से जल्द विधानसभा चुनाव कराए जाएं. भाजपा ने विपक्षी पार्टियों के प्रस्तावित गठबंधन की निंदा करते हुए इसे ‘‘आतंक-अनुकूल पार्टियों का गठबंधन” बताया।
  • जम्मू कश्मीर विधानसभा भंग होने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी नेता ने बुधवार की रात कहा कि प्रदेश में एक महागठबंधन के विचार ने ही भाजपा को बेचैन कर दिया.उन्होंने यह भी कहा कि ‘‘आज की तकनीक के दौर में यह बहुत अजीब बात है कि राज्यपाल आवास पर फैक्स मशीन ने हमारा फैक्स प्राप्त नहीं किया लेकिन विधानसभा भंग किये जाने के बारे में तेजी से बयान जारी किया गया।
  • राज्यपाल ने सबसे प्रमुख वजह सरकार बनाने के लिए विधायकों की खरीद-फरोख्त की आशंका जताई है. दूसरा प्रमुख कारण परस्पर विरोधी राजनीतिक विचारधारा वाले दलों के गठबंधन से स्थाई सरकार बनने में आशंका रही।
  • विधानसभा भंग करने के लिए अन्य कारणों के बाबत राज्यपाल ने कहा कि बहुमत के लिए सभी पक्षों की ओर से अलग अलग दावें हैं वहां ऐसी व्यवस्था की उम्र कितनी लंबी होगी इस पर भी संदेह है.” राज्यपाल ने पत्र में कहा, ‘‘जम्मू कश्मीर में इस वक्त नाजुक हालात में सुरक्षा बलों के लिए स्थाई और सहयोगात्मक माहौल की जरूरत है. ये बल आतंकवाद विरोधी अभियानों में लगे हुए हैं और अंतत: सुरक्षा स्थिति पर नियंत्रण पा रहे हैं।
  • 87 सदस्यों वाली जम्मू-कश्मीर विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा 44 है. दो विधायकों वाली पीपुल्स कांफ्रेंस के नेता सज्जाद लोन ने बीजेपी के 26 और अन्य 18 विधायकों के समर्थन से सरकार बनाने का दावा ठोक।
  • राज्यपाल की ओर से विधानसभा भंग करने का उठाया गया कदम राज्य में छह महीने के भीतर विधानसभा चुनाव का मार्ग प्रशस्त करता है. बीजेपी के समर्थन वापसी से महबूबा मुफ्ती सरकार गिरने के बाद से राज्य में लगे राज्यपाल शासन की अवधि अगले महीने खत्म हो रही है।

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