नई दिल्ली। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री के नाम की आधिकारिक घोषणा हो गई है और प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र बघेल राज्य के मुख्यमंत्री होंगे. टीएस सिंहदेव, ताम्रध्वज साहू और चरण दास महंत जैसे दावेदारों की लिस्ट में से भूपेश बघेल को कांग्रेस पार्टी ने मुख्यमंत्री चुना है और सोमवार को वह मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे. कांग्रेस पार्टी ने रविवार को इसका ऐलान किया. भूपेश बघेल छत्तीसगढ़ में विधायक दल के नेता भी चुने गए हैं. तो चलिए जानते हैं कि आखिर किन वजहों से वह सीएम की रेस के सिकंदर बने हैं।
अजीत जोगी को बाहर का रास्ता दिखाया
भूपेश बघेल को ऐसे वक्त में नेतृत्व की जिम्मेदारी मिली, जब राज्य में कांग्रेस के बड़े नेताओं का अभाव था. झीरम घाटी में अपने बड़े नेताओं की मौत के बाद बघेल ने कांग्रेस को नेतृत्व संकट से निकाला. एक समय बीजेपी की बी टीम कही जाने वाले अजीत जोगी और उनके बेटे अजीत जोगी तक को उन्होंने पार्टी के बाहर का रास्ता दिखा कर अपने रुख से स्पष्ट कर दिया था कि वह कांग्रेस को मजबूत करने में किसी तरह का समझौता नहीं करेंगे।
रमन सिंह सरकार के खिलाफ कड़े तेवर
भूपेश बघेल अपने आक्रामक तेवर के लिए पहचाने जाते रहे हैं. यही वजह है कि एक ओर जहां अजीत जोगी रमन सिंह के प्रति नरम रुख अपनाकर रहा करते तो, भूपेश इसके ठीक उलट. इसी नरम रुख की वजह से भूपेश ने अजीत जोगी को बाहर का रास्ता दिखाया. छत्तीसगढ़ के कई मुद्दों को लेकर भूपेश बघेल सड़कों पर उतरे और रमन सिंह सरकार के खिलाफ आवाज बुलंद की. रमन सरकार के कई कथित घोटालों के खिलाफ कई हिस्सों में बघेल ने पदयात्रा निकालकर कांग्रेस कार्यकर्ताओं में नया जोश भरा।
सेक्स स्कैंडल में नाम आने के बाद भी डंटे रहे
चुनाव से पहले बीजेपी के मंत्री राजेश मूणत से जुड़ी एक कथित सेक्स सीडी के मामले में भूपेश बघेल को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेजा गया, तब उन्होंने जमानत लेने से इनकार कर दिया. सेक्स कांड में नाम आने के बाद भी भूपेश का मनोबल नहीं टूटा और वह राजनीति की बिसात पर डंटे रहे।
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