रूस की मिसाइल से दहशत में अमेरिका, बचाव के लिए खर्च करेगा 92 करोड़ डॉलर, चीन भी डरा, जाने भारत की रणनीति

Daily Samvad
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नई दिल्‍ली। रूस जल्‍द ही हाइपरसोनिक मिसाइल प्रणाली तैनाती के लिए तैयार है। अगले वर्ष से काम शुरू करने वाली इस मिसाइल का नाम एवनगार्ड है। रूस ने दो दिन पहले ही इसका दक्षिण-पश्चिम रूस के डोंबरावस्की एयरबेस से सफलतम परिक्षण किया है। रूस का दावा है कि अमेरिका के पास इस मिसाइल की कोई काट नहीं है।

यही वजह है कि इसने पूरी दुनिया खासतौर पर चीन और अमेरिका की चिंता बढ़ा दी है। यहां पर चिंता की वजह एक दूसरी यह भी है कि रूस के पास पहले से ही हाइपरसोनिक मिसाइल मौजूद है। रूस नए तरह के रणनीतिक हथियार को हासिल करने वाला दुनिया का पहला देश है। रूसी राष्‍ट्रपति व्‍लादिमीर पुतिन का कहना है कि यह हमारे देश और लोगों की सुरक्षा की विश्वसनीयता को सुनिश्चित करेगी।

पहले से रूस के पास किंझल

आपको यहां पर बता दें कि रूस के पास पहले से ही हवा से मार करने वाली किंझल हाइपरसोनिक मिसाइल मौजूद है। यह दो हजार किलोमीटर से अधिक दूरी तक निशाना साधने में सक्षम है। इस मिसाइल का नामकरण खुद राष्ट्रपति पुतिन ने किया है। इसकी तेज गति और सटीक निशाना इसकी सबसे बड़ी ताकत है।

एवनगार्ड पर चिंता और अमेरिका की तैयारी

जहां तक एवनगार्ड की बात है तो इसको लेकर अमेरिका की चिंता वहां की रणनीतिक कमान के प्रमुख जनरल जॉन हेटेन के बयान में भी साफतौर पर दिखाई दे रही है। वह इस बारे में पहले ही कह चुके हैं कि इस मिसाइल का पता लगाने में अमेरिका के मौजूदा सेटेलाइट और रडार सक्षम नहीं हैं।

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लिहाजा इसके लिए अमेरिका को नए सिरे से तैयारी करनी होगी, जिसमें काफी वक्‍त और पैसा खर्च होगा। वहीं अमेरिकी एयरफोर्स का कहना है कि हाइपरसोनिक मिसाइल तैयार करने में करीब 100 करोड़ डॉलर का खर्च आएगा।

रूस के ताजा परिक्षण को देखते हुए अमेरिका ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है। इसके तहत हाइपरसोनिक मिसाइल की डिजाइन और डिवेलपमेंट के लिए 92 करोड़ का कॉन्ट्रैक्ट दे दिया गया है। यह मिसाइल आवाज से 5 गुना तेज रफ्तार से चलेगी।

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