राज्यसभा में इस सांसद ने दिखाया झुनझुना, कहा-ये बजता भी है, जाने वजह

Daily Samvad
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नई दिल्ली। सांसद मनोज झा ने राज्यसभा में आरक्षण बिल पर चर्चा के दौरान सरकार की नीति और नीयत दोनों पर सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि देश में जातिव्यवस्था बहुत खतरनाक स्थिति में है. सरकार का यह 10 प्रतिशत आरक्षण का फैसला जातिगत आरक्षण के फैसले को खत्म करने की कोशिश है, इसलिए राजद इस बिल का विरोध करता है।

बहस के दौरान राजद सांसद मनोज झा ने कहा कि हम बाबा साहब के मुरीद लोग हैं. उन्होंने कहा कि आरक्षण आमदनी बढ़ाओ योजना नहीं है. आरक्षण प्रतिनिधित्व का मामला है. सरकार ने इसे मनरेगा बना दिया. उन्होंने चर्चा में भाग लेते हुए एक ‘झुनझुना’ भी दिखाया. मनोज झा ने संविधान (124वां संशोधन) विधेयक पर चर्चा में भाग लेते हुए दावा किया कि इस विधेयक के जरिये सामान्य वर्ग को महज एक झुनझुना दिखाया जा रहा है. इसके बाद उन्होंने अपने पास से एक झुनझुना निकालकर दिखाया।

यह झुनझुना हिलता भी है और बजता भी है

राजद सदस्य ने कहा कि यह झुनझुना हिलता भी है और बजता भी है. लेकिन सरकार आरक्षण के नाम पर जो झुनझुना दिखा रही है वह केवल हिलता है, बजता नहीं है. बता दें कि राजद और AIADMK इस बिल का विरोध कर रही है. वहीं, अन्नाद्रमुक के ए नवनीत कृष्णन ने विधेयक का विरोध करते हुए इससे संवैधानिक संकट पैदा होने के बारे में सरकार को आगाह किया. उन्होंने कहा कि यह विधेयक संविधान के विरुद्ध होने के कारण कानून की कसौटी पर अदालत में टिकने योग्य नहीं है।

ब्रायन ने कहा कि मौजूदा सरकार ने विधेयकों पर सदन में चर्चा और समीक्षा की परंपरा को लगभग खत्म कर दिया है. उन्होंने कहा कि पिछली सरकारों में लगभग 70 प्रतिशत विधेयक समीक्षा के दौर से गुजरते थे, लेकिन यह स्तर अब 20 प्रतिशत रह गया है. चर्चा में हिस्सा लेते हुए बीजद के प्रसन्ना आचार्य ने कहा कि सरकार ने चुनाव के ठीक पहले यह विधेयक पेश कर अपनी ‘गंभीर बीमारी’ की स्थिति को साफ कर दिया है।

देखें BJP नेता किशनलाल शर्मा का विवादित VIDEO

https://youtu.be/ygJpZqiK66A

आचार्य ने कहा कि हाल ही में तीन राज्यों के चुनाव परिणाम से नाजुक स्थिति में पहुंची सरकार ऑक्सीजन के रूप में इस विधेयक का इस्तेमाल कर रही है. उन्होंने विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि मौजूदा समय में रोजगार सृजन की दर शून्य होने का हवाला देते हुये कहा कि 10 प्रतिशत आरक्षण देने के बावजूद रोजगार मिलने की दर शून्य ही रहेगी।

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