धर्म संसद में संतों के ऐलान से सांसत में पड़ती रही हैं सरकारें, क्या 21 फरवरी से शुरू हो पाएगा राम मंदिर निर्माण

Daily Samvad
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प्रयागराज। कुंभ क्षेत्र में जगतगुरु शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती की ओर से बुलाई गई परम धर्म संसद में ऐलान किया गया है कि 21 फरवरी से राम मंदिर का निर्माण शुरू होगा. परम धर्म संसद में राम मंदिर के लिए आधारशिला रखने का प्रस्ताव पारित किया गया है. इसके लिए साधु संन्यासी अयोध्या की ओर कूच करेंगे।

शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती ने ये घोषणा की और बताया कि इसके लिए सभी अखाड़ों के संतों से भी बात हो चुकी है. हालांकि, मंदिर का निर्माण किस जगह पर होगा, इस बारे में कुछ स्पष्ट नहीं कहा गया है. परम धर्म संसद ने यह ऐलान ऐसे समय किया है जब मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है और विश्व हिंदू परिषद सहित अन्य संगठन मंदिर निर्माण के लिए सरकार पर दबाव बना रहे हैं. विहिप की धर्म संसद का आयोजन आज से होने वाला है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले ही कह चुके हैं कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद ही सरकार कोई निर्णय लेगी. लेकिन हिंदूवादी संगठन धर्म संसद और प्रदर्शनों के जरिये मंदिर निर्माण के लिए सरकार पर दबाव बना रहे हैं. बहरहाल प्रयागराज में शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती की धर्म संसद चल रही है तो दूसरी ओर VHP की धर्म संसद 31 जनवरी और 1 फरवरी को होगी. इस धर्म संसद में नृत्य गोपाल दास जैसे धार्मिक गुरुओं के साथ आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत शामिल होंगे।

कभी आधारशिला रखेंगे, कभी निर्माण करेंगे

जिस तरीके से जगतगुरु शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती ने प्रयागराज में मंदिर निर्माण अगले महीने से शुरू किए जाने की घोषणा की है, उसी तरह का ऐलान साधु-संत पहले भी करते रहे हैं. कभी कोई कहता है कि अयोध्या में राम मंदिर की आधारशिला रखेंगे तो कभी कोई कहता है कि हम मंदिर का निर्माण करेंगे।

यह भी उल्लेखनीय है कि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने 1989 में पालमपुर अधिवेशन में प्रस्ताव पास कर राम मंदिर का खुलकर समर्थन किया था. तभी से वह मंदिर मुद्दे का खुलकर समर्थन करती रही है. जब वह सत्ता में नहीं थी तो तत्कालीन सरकारों से कहती थी कि कानून बनाकर विवादित भूमि मंदिर बनाने के लिए दे दी जाए।

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