धनंजय सिंह
डेली संवाद, लखनऊ
ईडी ने मायावती को घेरे में लेना शुरू कर दिया है। मायावती सरकार के कार्यकाल में कथित 14 अरब के स्मारक घोटाले में ईडी ने बीएसपी चीफ के करीबियों पर कार्रवाई शुरू कर दी है। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ और एनसीआर के 6 ठिकानों पर ताबड़तोड़ छापेमारी हुई। ईडी की टीम ने लखनऊ के गोमती नगर में इंजिनियरों, ठेकेदारों और स्मारक घोटाले से जुड़े लोगों के ठिकानों पर छापा मारे।
सतर्कता अधिष्ठान ने 1400 करोड़ (14 अरब) के स्मारक घोटाले की जांच की थी। जांच के लिए विजिलेंस में सात इंस्पेक्टर की एक एसआईटी का भी गठन किया गया था। बताया जा रहा है कि विजिलेंस जांच की पूरी रिपोर्ट मिलने के बाद ही ईडी ने कार्रवाई शुरू की है।
पिछली सरकार में हुई थी जांच
हालांकि जिस समाजवादी पार्टी के साथ बीएसपी सुप्रीमो ने हाथ मिलाया है। उसके ही कार्यकाल में स्मारक घोटाले की जांच विजिलेंस को सौंपी गई थी। एसपी के ही कार्यकाल में स्मारक घोटाले में गोमती नगर में एफआईआर दर्ज करवाई गई थी। हालांकि, शुरुआती तेजी के बाद मामले की जांच ठंडे बस्ते में चली गई।
14 अरब के घोटाले का आरोप
इस मामले में हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की थी। इसमें आंबेडकर स्मारक परिवर्तन स्थल लखनऊ, मान्यवर कांशीराम स्मारक स्थल, गौतमबुद्ध उपवन, इको पार्क, नोएडा आंबेडकर पार्क, रामबाई आंबेडकर मैदान स्मृति उपवन आदि के निर्माण में 14 अरब 10 करोड़ 83 लाख 43 हजार रुपये के घोटाले का आरोप लगाया गया था।
दोनों मंत्रियों ने छोड़ी बसपा
स्मारक घोटाले की जांच की जद में आए मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा व नसीमुद्दीन सिद्दीकी बसपा से किनारा कर चुके हैं। बाबू सिंह एनआरएचएम घोटाले में शिकंजा कसने के बाद राजनीति की मुख्यधारा में वापस आने के कई प्रयास करने के बाद भी विफल रहे तो नसीमुद्दीन मनमुटाव के बाद बसपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गये। वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में जहां सपा ने सत्ता में आने पर स्मारक घोटाले की जांच कराने का दावा किया था तो वहीं वर्ष 2017 के चुनाव के दौरान भाजपा ने भी स्मारक घोटाले को लेकर बसपा पर जमकर निशाना साधा था।
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