डेली संवाद, जालंधर
जोश, आत्मसंतुलन तथा नए प्रयोगों द्वारा किंडर गार्टन व प्री-विंग को व्यवस्थित तथा बेहतरीन तरीके से कार्यशील बनाया जा सकता है। नन्हें हृदयों में विश्वास जगाना, खुद का कार्य स्वतंत्र रूप से करना तथा रोका कुछ न कुछ नया सीखना प्री-विंग का अभिन्न अंग है। इसी मंतव के साथ डिप्स के 150 अध्यापकों ने इस कार्यशाला में भाग लिया।
इस दौरान डिप्स चेन की सी.ई.ओ विशेष अतिथि तथा प्री-विंग एडवाईज़र मोनिका मेहता मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित हुई। सभी अध्यापकों को सम्बोधित करते हुए मुख्य वक्ता मोनिका ने कहा कि किताबी ज्ञान के इलावा छोटे बच्चों को सामान्य ज्ञान व दैनिक कार्यो के बारे में पूरी जानकारी होनी चाहिए जैसे ब्रश करते समय टुथपेस्ट लगाना, यूनिफॉम पहनना, जूतों के लेस बाधना, अपना बैग पैक करना, श्रीर की सफाई का ध्यान रखना, नाखून काटना तथा रूमाल का सही समय पर इस्तेमाल करना इत्यादि।
बच्चों को बस में स्वंय चढऩा व उतरना, पानी पीते समय कमीका की स्लीवज़ उपर करना, बड़ों का अभिनंदन करना, लिखते समय कॉपी के पेजों को मुडऩे से बचाना, बुक मार्क का इस्तेमाल करना आदि कितनी सारी छोटी-छोटी बाते है जिन्हें बच्चों को सिखाना अनिवार्य हैं। इसी के साथ उन्होंने अध्यापकों को कई रचनात्मक तथा हंसी मजाक वाली गतिविधियां बताई जिनसे विद्यार्थियों को उत्साहित किया जा सकता है कुछ नया सीखने के लिए।
इस अवसर पर डिप्स चेन की सी.ई.ओ मोनिका मंडोत्रा ने कहा कि अध्यापकों को कक्षा में पढ़ाते समय हर विद्यार्थी के साथ समान व्यवहार करना चाहिए तथा अपने व्यवहार को व्यवस्थित, नियंत्रित तथा धैर्य पूर्ण बनाना चाहिए।
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