चंडीगढ़। पंजाब में बढ़ते गैंग कल्चर पर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने कड़ा रुख अपनाते हुए पंजाब और हरियाणा को यूपी की तर्ज पर कड़ा कानून बना इन्हें उखाड़ फेंकने के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने कहा कि छह महीनों के भीतर दोनों राज्यों से गैंगस्टरों की सफाई शुरू हो जानी चाहिए। कोर्ट ने कहा कि गैंगस्टर्स के बीच एरिया में दबदबा बनाने के लिए होने वाला संघर्ष समाज और कानून व्यवस्था दोनों के लिए घातक है।
जस्टिस राजीव शर्मा एवं जस्टिस हरिंदर सिंह सिद्धू की खंडपीठ ने ट्रायल कोर्ट द्वारा सुनाई आजीवन कारावास की सजा को बरकरार रखते हुए याचिका को खारिज कर दिया। याचिका खारिज करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि पंजाब और हरियाणा में अब इस तरह की घटनाएं बढ़ती ही जा रही हैं जहां दो गुट आपसी रंजिश में एक-दूसरे को निशाना बना रहे हैं।
गैरकानूनी गतिविधियों में शामिल ये गैंग और संगठित अपराधी आम नागरिकों और कानून व्यवस्था के लिए बेहद ही घातक है। ऐसे में दोनों राज्यों को उत्तर प्रदेश की तर्ज पर गैंगस्टरों से सख्ती से निपटने के लिए एक कड़ा कानून बनाना होगा। हाईकोर्ट ने दोनों राज्यों को छह माह में ऐसा कानून बनाए जाने के आदेश भी दे दिए हैं।
यह है यूपी में व्यवस्था
यूपी में उत्तर प्रदेश गैंगस्टर्स एंड एंटी-सोशल एक्टिविटीज (प्रिवेंशन) एक्ट 1986 लागू किया गया है। इसके तहत कई प्रावधान व विशेषाधिकार हैं। इसे गैंगस्टर्स और संगठित अपराध में लिप्त अपराधियों पर नकेल कसने के लिए बनाया गया है। इस कानून के तहत कम से कम दो वर्ष और अधिक से अधिक आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान है। इस कानून के तहत गवाहों की सुरक्षा के लिए भी विशेष प्रावधान है और ऐसे अपराधियों पर अलग से अदालत गठित कर उनके खिलाफ सुनवाई की जाती है।
हिन्दी न्यूज़ Updates पाने के लिए आप हमें फेसबुक और गूगल प्लस पर ज्वॉइन करें, ट्विटर पर फॉलो करें।