चंडीगढ़। पंजाब के बिजली मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू दफ्तर से नदारद हैं। उनको बिजली विभाग मिले एक महीना हो गया है, लेकिन मंत्री ने अपने कार्यालय का रुख नहीं किया। सरकार ने उनके कार्यालय के बाहर उनके नाम की तख्ती तो जरूर टांग दी है, लेकिन मंत्री गायब है।
गर्मियों के मौसम में शिकायतों के चलते बिजली विभाग के दफ्तर में गहमागहमी रहती है, लेकिन बिजली मंत्री का दफ्तर सुनसान पड़ा है। लोगों के लिए लगाई गई कुर्सियां खाली हैं और मंत्री के दफ्तर का दरवाजा बंद है। सिद्धू की गैर हाजिरी से विपक्ष के हाथ बैठे बिठाए एक बड़ा मुद्दा लग गया है। पंजाब की विपक्षी पार्टियां अकाली दल-भाजपा और आम आदमी पार्टी बिजली को लेकर धरने प्रदर्शन शुरू कर रही हैं।
सिद्धू सीएम का आदेश मानने को तैयार नहीं
विपक्ष का आरोप है कि एक महीने से ज्यादा का समय हो गया और नवजोत सिंह सिद्धू मुख्यमंत्री का आदेश मानने को तैयार नहीं है। मामला बेहद गंभीर है, जब एक मंत्री मुख्यमंत्री का कहना नहीं मान रहा है तो आम जनता में इसका क्या संदेश जाएगा, अब तो मुख्यमंत्री की प्रतिष्ठा का सवाल पैदा हो गया है या तो वह नवजोत सिंह सिद्धू से अपने आदेश मनवाए या फिर राज्यपाल को लिखकर सूचित कर दें कि नवजोत सिंह सिद्धू को मंत्रिमंडल से बाहर का रास्ता दिखाया जा रहा है।
बचाव की मुद्रा में आई पंजाब सरकार
उधर, नवजोत सिंह सिद्धू और मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के बीच बढ़ती तकरार को देखकर पंजाब सरकार अब बचाव की मुद्रा में है। हफ्ते के भीतर ही पंजाब के मुख्यमंत्री और तीन कबीना मंत्री कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल से मुलाकात कर सफाई दे चुके हैं, बावजूद इसके नवजोत सिंह सिद्धू विभाग का कार्यभार ग्रहण नहीं कर रहे हैं।
आपको बता दें कि नवजोत सिंह सिद्धू खुद राहुल गांधी से मिलकर अपना दुखड़ा रो चुके हैं, बावजूद इसके पार्टी हाईकमान इस विवाद को सुलझाने में नाकाम रहा है। नवजोत सिंह सिद्धू को मलाल है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह ने केवल और केवल उनके ही विभाग पर उंगली उठाई और बाकी मंत्रियों की कारगुजारी को नजरअंदाज कर दिया।
कैप्टन से पंगा लेकर फंस गए सिद्धू
दरअसल, नवजोत सिंह सिद्धू कैप्टन अमरिंदर सिंह से पंगा लेकर फंस गए हैं. राहुल गांधी द्वारा पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के बाद अब उनकी मुश्किलें और ज्यादा बढ़ गई हैं, क्योंकि पार्टी में अब उनकी सुनाने वाला कोई नहीं है. वह पिछले एक महीने से भूमिगत हैं और राहुल गांधी से मिलने की कई कोशिशें कर चुके हैं, लेकिन उनके हाथ सिर्फ असफलता निराशा ही लगी है।
कुल मिलाकर कैप्टन अमरिंदर सिंह और उनके कैंप के मंत्रियों का पलड़ा भारी है. नवजोत सिंह सिद्धू के पास बस अब केवल यही विकल्प बचता है कि वह या तो मंत्री पद स्वीकार कर ले या फिर खुद ही मंत्रिमंडल से बाहर हो जाएं. पंजाब सरकार के सूत्र तो यहां तक कह रहे हैं कि कैप्टन अमरिंदर सिंह सिद्धू को खुद भी बाहर का रास्ता दिखा सकते हैं।
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