नई दिल्ली। आज रात भारत समेत दुनिया के कई देशों में आंशिक चंद्र ग्रहण दिखाई देगा। चंद्र ग्रहण सबसे ज्यादा समय तक एशियाई देशों में ही देखा जा सकेगा। यूरोप, अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अमेरिका के विभिन्न हिस्सों में भी लोग यह नजारा देख पाएंगे। भारत में आज आषाढ़ पूर्णिमा का दिन है। आषाढ़ पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है। इस लिहाज से चंद्र ग्रहण का विशेष महत्व है।
चंद्रगहण की यह घटना अपने आप ऐतिहासिक होने जा रही है।इस बार के चंद्र ग्रहण की दो खास बातें हैं। पहली यह कि 149 साल बाद गुरु पूर्णिमा के दिन चंद्र ग्रहण लग रहा है। गुरु पूर्णिमा के दिन हिंदू और बौद्ध मतावलंबी अपने आध्यात्मिक गुरुओं एवं शिक्षकों के प्रति आभार प्रकट करते हैं।
दूसरी, अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा द्वारा अपोलो 11 मिशन की लॉन्चिंग की 50वीं सालगिरह है। इसी मिशन में चांद पर इंसान का पहला कदम रखे जाने में सफलता हासिल हुई। पिछली बार 12 जुलाई, 1870 को गुरु पूर्णिमा और चंद्र ग्रहण एक साथ पड़े थे। हिंदू पंचांग की मानें तो इस ग्रहण को खंडग्रास चंद्र ग्रहण कहा जा रहा है।
कितने तरह के चंद्र ग्रहण?
हम जानते हैं कि चंद्र ग्रहण के दौरान धरती और चांद एक सीध में आ जाते हैं। इस वजह से पृथ्वी की छाया चांद पर पड़ती है और चांद का रोशन हिस्सा ढक जाता है। पृथ्वी की छाया के दो हिस्से होते हैं- केंद्रीय हिस्सा जिसे अंब्र (umbra) कहते हैं और दूसरा, बाह्य हिस्सा जिसे पेनंब्र (penumbra) कहा जाता है।
जब पूरा चांद पृथ्वी की केंद्रीय छाया से गुजरता है या जब सूर्य, पृथ्वी और चांद, तीनों एक सीध में आ जाते हैं तो पूर्ण चंद्र ग्रहण लगता है। लेकिन, जब चांद का कुछ हिस्सा केंद्रीय अथवा बाह्य छाया से होकर गुजरता है हमें आंशिक चंद्र ग्रहण देखने को मिलता है। जब चांद पर पृथ्वी की केंद्रीय छाया तनिक भी नहीं पड़ती है और वह वाह्य छाया से ही ढका रहता है तो उसे वाह्य चंद्र ग्रहण कहते हैं।
देश में कब दिखेगा चंद्र ग्रहण?
याद रहे कि आंशिक चंद्र ग्रहण हमेशा पृथ्वी की बाह्य छाया के अधीन आने से ही शुरू होता है। इस बार चंद्र ग्रहण की कुल अवधि 3 घंटे 57 मिनट 56 सेकंड की होगी। भारतीय समयानुसार चंद्र ग्रहण 16 जुलाई की रात 1 बजकर 31 मिनट पर शुरू होगा और 17 जुलाई की सुबह 4 बजकर 30 मिनट पर खत्म होगा। चंद्रमा 16-17 जुलाई की मध्य रात्रि को 12:13 बजे को पृथ्वी की बाहरी छाया और 1:31 बजे केंद्रीय छाया के अधीन आ जाएगा।
रात के तीन बजे चंद्र ग्रहण का सबसे ज्यादा असर दिखेगा जब चांद के सबसे बड़े हिस्से पर पृथ्वी की छाया पड़ेगी और वह काला दिखने लगेगा। अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा के डेटा के अनुसार चांद भारतीय समयानुसार मध्यरात्रि 12:13 बजे पेनंब्र में प्रवेश करेगा। इसके बाद 1:31 बजे अंब्र में प्रवेश करेगा। 17 जुलाई की सुबह 3 बजे चंद्र ग्रहण अपने चरम पर होगा। इसके बाद चांद अंब्र से सुबह 4:29 मिनट पर बाहर निकल जाएगा। सुबह 5:47 बजे चांद पेनंब्र से बाहर निकलेगा।
आंशिक चंद्र ग्रहण का असर
स्पष्ट है कि पृथ्वी की छाया चांद के छोटे से हिस्से पर ही पड़ने के कारण आंशिक चंद्र ग्रहण लगता है। यही वजह है कि चांद का वही छोटा हिस्सा ही हमें काला दिखाई देता है।
भारत में कहां-कहां दिखेगा चंद्र ग्रहण?
देश के पश्चिमी हिस्से और केंद्रीय इलाकों में चंद्र ग्रहण की पूरी घटना देखी जा सकेगी। देश के पूर्वी इलाके के लोगों को अहले सुबह करीब-करीब उस समय दिखेगा जब चंद्र अस्त होने लगता है। चंद्रमा बिहार, असम, बंगाल और ओडिशा में ग्रहण की अवधि में ही अस्त हो जाएगा।
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