पाकिस्तान को करतारपुर गलियारे संबंधी वचनबद्धता से पीछे न हटने की अपील
डेली संवाद, चंडीगढ़
करतारपुर गलियारे के विकास के लिए पाकिस्तान में गतिविधियों की रफ़्तार धीमी होने पर चिंता ज़ाहिर करते हुए पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने पड़ोसी मुल्क को इस अहम प्रोजैक्ट पर अपनी वचनबद्धता से पीछे न हटने की अपील की है जिसकी सिख भाईचारे के लिए धार्मिक तौर पर सबसे अधिक अहमियत है।
मुख्यमंत्री का यह बयान करतारपुर गलियारे बारे लिए प्रमुख फ़ैसलों को अंतिम रूप देने के लिए मीटिंगें करने के लिए भारत की तरफ से पाकिस्तान को भेजे याद पत्र की रिपोर्टों के संदर्भ में आया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि श्री गुरु नानक देव जी के प्रकाश पर्व के पवित्र मौके को केवल तीन महीनों का समय बाकी है तो इस समय प्रोजैक्ट के विकास की रफ़्तार धीमी हो जाने से ऐतिहासिक मौके पर यह प्रोजैक्ट अधूरा रह जायेगा।
उन्होंने कहा कि ऐसे किसी भी कदम से सिख भाईचारे की भावनाओं और इच्छाओं को ठेस पहुँचेगी जो इस पवित्र स्थान का दीदार करना चाहते हैं जहाँ पहले पातशाह जी ने अपने जीवन के बहुत से वर्ष गुज़ारे। भारत के साथ राजनयिक और व्यापारिक संबंध घटाने के फ़ैसले के मद्देनजऱ पाकिस्तान द्वारा अटारी-वाघा सीमा पर व्यापार रुकने के मुद्दे पर कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि राजनैतिक चिंताओं को किसी भी फ़ैसले के साथ घेरा नहीं जाना चाहिए जो दोनों तरफ के लोगों के लिए हानिकारक सिद्ध हो।
द्विपक्षीय हित में अटारी-वाघा सीमा पर व्यापारिक सम्बन्ध बहाल करने की मांग
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह रोक पाकिस्तान में गरीबों के लिए टालने योग्य बड़ा आर्थिक नुक्सान होगा क्योंकि माल को अब ईरान या दुबई के द्वारा लम्बा समुद्री रास्ता तय करना होगा। उन्होंने कहा कि व्यापार बंद होने से दोनों तरफ व्यापारिक बुनियादी व्यवस्थाओं के हिस्से के तौर पर तैनात हज़ारों कुलियों, ट्रक/रेल चालकों, स्टाफ आदि की नौकरियों और रोज़ी -रोटी का गंभीर नुकसान होगा।
मुख्यमंत्री ने भारत सरकार को व्यापारिक रिश्तों की बहाली के लिए पाकिस्तान पर दबाव बनाने के लिए राजनयिक रास्ता अपनाने के लिए कहा। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सीमावर्ती राज्यों पंजाब और जम्मू -कश्मीर के विकास के लिए विशेष आर्थिक पैकेज देने की अपील की ताकि यहाँ के नौजवानों के लिए रोजग़ार के मौके पैदा किए जा सकें। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि केंद्र सरकार द्वारा सभी सीमावर्ती राज्यों के लिए सेना, अर्धसैनिक बलों और राज्य पुलिस में और बटालियनें खड़ी की जानी चाहिए।
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