देश में एसे नेतृत्व की जरूरत, जो PM से बिना डरे बहस कर सके : मुरली मनोहर जोशी

Daily Samvad
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नई दिल्ली। भाजपा के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी ने कहा है कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय महत्व के अहम मुद्दों पर लगभग सभी राजनीतिक पार्टियों में दलगत राजनीति से परे होकर गंभीर विचार विमर्श की परंपरा लगभग खत्म हो गयी है और इस परंपरा को फिर से कायम करने की जरूरत है।

मुरली मनोहर जोशी ने पूर्व केन्द्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता एस जयपाल रेड्डी के निधन आयोजित श्रद्धांजलि सभा को संबोधित करते हुये कहा कि दलगत राजनीति से परे हटकर देशहित से जुड़े अहम मुद्दों पर विचार विमर्श कर एकराय बनाने की कोशिशें थम गयी हैं।

उन्होंने बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर) जैसे अहम मुद्दों पर रेड्डी एवं वामदल सहित अन्य दलों के नेताओं की मौजूदगी वाले विभिन्न नेताओं के समूहों (फोरम) का जिक्र करते हुये कहा कि इन समूहों में दलगत विचारधारा से हटकर विचार विमर्श होता था।

कुछ ऐसे प्रश्न हैं जो देश और कुछ मामलों में विश्व के लिये महत्वपूर्ण हैं

जोशी ने कहा, ”कुछ मामलों में माकपा के नेता सीताराम येचुरी अपने नाम के अनुरूप ‘सीताराम का ध्यान रखकर हमारा (भाजपा) साथ देते थे और कभी कभी हम भी उनका (वामपंथी विचारधारा) साथ देते थे। उन्होंने कहा कि ”ये जो एक फोरम था जिसमें एक समझ बनी थी कि विभिन्न पार्टियों के लोग कुछ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मसलों पर एकराय बनाने की कोशिश करते थे, ये कोशिशें भी कम हो गयी हैं, लगभग खत्म हो गयी हैं, उन्हें जागृत करने की जरूरत है।

वरिष्ठ भाजपा नेता ने कहा, ”कुछ ऐसे प्रश्न हैं जो देश और कुछ मामलों में विश्व के लिये महत्वपूर्ण हैं। इन पर विचार विमर्श होना न सिर्फ जनतंत्र के लिये महत्वपूर्ण है बल्कि देश के भविष्य के लिये भी महत्वपूर्ण है। उस तरफ ध्यान देने की जरूरत है। यही रेड्डी को सच्ची श्रद्धांजलि होगी। उन्होंने कहा कि इस तरह के विचारविमर्श, जिसे दलगत राजनीति से हटकर अपनी पार्टी से संबंधों को कुछ समय के लिये परे रखकर देश की समस्याओं पर गहराई के साथ विचार करने की कोशिश पुन: शुरु होनी चाहिये।

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