कानपुर सिख कत्लेआम मामले में दिल्ली कमेटी सुप्रीम कोर्ट में दाखिल करेगी नई अर्जी

Daily Samvad
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6 महीनों की स्टेटस रिपोर्ट मांगेंगेः सिरसा

डेली संवाद, जालंधर

दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने 1984 के कानपुर सिक्ख कत्लेआम के मामले में सुप्रीम कोर्ट में नई अर्जी दायर करने का फैसला किया है और इसके माध्यम से इन केसों की दुबारा पड़ताल करने के लिए गठित की गई एस.आई.टी द्वारा 6 महीनों में किये गये कार्यों की स्टे्टस रिपोर्ट मांगी जायेगी।

यहां एक प्रैस कान्फ्रेंस के दौरान इस बात की जानकारी देते हुए दिल्ली गुरुद्वारा कमेटी के अध्यक्ष मनजिंदर सिंह सिरसा और वरिष्ठ अकाली नेता व अखिल भारतीय दंगा राहत पीढ़ित कमेटी के अध्यक्ष कुलदीप सिंह भोगल ने बताया कि यह अर्जी सोमवार को दाखि़ल की जायेगी।

उत्तर प्रदेश से कुछ रिपोर्टस सामने आई हैं जिनमें कहा गया है कि 1984 के कानपुर सिख कत्लेआम से सबंधित कई केसों के सबूत केस रिकार्ड जानबूझ कर नष्ट कर दिये गये हैं उन्होंने बताया कि यह सामने आया है कि दो दर्जन से ज्यादा केसों में एफ.आई.आर ही गायब हैं, 32 अन्य केसों में एफ.आई.आर नष्ट कर दी गई हैं और 34 केसों में सबंधित दस्तावेज ही लापता हैं।

उन्होंने कहा कि कानपुर सिक्ख कत्लेआम के सबंध में 1100 केस दर्ज किये गये हें जिनमें कत्ल, लूटमार व हर तरह की हिंसा के केस शामिल थे। 125 तो कत्ल केस थे जिनमें 302 धारा के तहत केस दर्ज हुए हैं पर बहुत ही शर्मनाक बात है कि इन केसों में से एक में भी कोई गिरफतारी नहीं हुई, केस चलान पेश नहीं किया गया।

स. सिरसा व भोगल ने बताया कि पिछले 6 महीनों के दौरान पुलिस ने एस.आई.टी द्वारा रिकार्ड मांगने पर बड़े हैरानीजनक ढंग से जवाब दिये हैं। उन्होंने कहा कि चाहे पुलिस ज़िले अलग-अलग थे पर एक ही तरह के बहाने बनाये गये जिनमें दस्तावेज़ लापता होने या गुम होने, तबाह होने की बात कही गई व कुछ केसों मंे कहा कि पुराने होने के कारण दस्तावेज़ पढ़ने के काबिल नहीं हैं।

उन्होंने कहा कि नई अर्जी दायार कर सुप्रीम कोर्ट को अपील की जायेगी कि एस.आई.टी द्वारा किये कार्यों का सारा रिकार्ड तलब किया जाये और बताया जाये कि इसने कितने और कौन से केस दुबारा खोले हैं। उनहोंने कहा कि दिल्ली की तरह एस.आई.टी एक जनतक नोटिस प्रकाशित कर गवाहों को सामने आने के लिए निमंत्रण दे ओर इनकी सुरक्षा सुनिश्चित की जाये। 35 सालों के बाद भी पुलिस का बर्ताव तबदील नहीं हुआ है और वह इस कत्लेाम में शामिल अपने  ही वरिष्ठ अफ्सरों को बचाने के लिए दबाव में बंधी हुई है।

एक सवाल के जवाब में स. सिरसा ने कहा कि दिल्ली कमेटी 1984 के सिख कत्लेआम के पीढ़ितों के लिए न्याय की कानूनी लड़ाई लड़ रही है और इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि कहाँ किस की सरकार है और कौन मुख्यमंत्री है? हम सिर्फ न्याय चाहते हैं और इसमें राजनीति का कोई मतलब नहीं।

उन्होंने कहा कि जब दिल्ली केस में एस.आइ.टी का गठन किया गया था तो दिल्ली कमेटी, अकाली दल और श्री भोगल ने संयुक्त तौर पर कानपुर केस की लड़ाई भी लड़ी व सुप्रीम कोर्ट में हमारी पटिशन पर ही यु.पी के लिए एस.आइ.टी का गठन किया गया।

उन्होंने कहा कि वह इन केसों के पीढ़ित परिवारों को भरोसा दिलाते हैं कि केस लड़ने के लिए कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी जायेगी और वह सुनिश्चत करेंगे कि न्याय मिले व दोषीयों को सलाखों के पीछे डाला जाये जैसे सज्जन कुमार को डाला गया है और अब कमलनाथ की बारी है।

इस मौके पर श्री. भोगल ने बताया कि उन्होंने तीन बार यु.पी के मुख्यमंत्री से मुलाकात की है और एस.आइ.टी को आने वाली मुश्किलों के बारे में परिचित करवाया है। उन्होंने कहा कि एस.आइ.टी का गठन फरवरी में किया गया, इसके बाद चुनावों का ऐलान हो गया। इसलिए यह काम सिर्फ जुलाई में ही शुरु हो सका। उस वक्त एस.आइ.टी के पास एक छोटा से कमरा था व कोई सहुलियत नहीं थी।

उन्होंने कहा कि अब वहां जा कर ताजा स्थिति देखेंगे। उन्होंने बताया कि एस.आइ.टी के पास 25 केसों का रिकार्ड है और उन्होंने स्वंय 15 केसों का रिकार्ड आर.टी.आई के तहत हासिल किया है जो वह एस.आइ.टी को देंगे। उन्होंने कहा कि इस केस का तर्कसंगत हल निकाला जायेगा।













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