पंडित गरुड़ प्रसाद शुक्ला कहते हैं कि श्राद्ध में कौआ का विशेष महत्व है
जालंधर। पृतपक्ष चल रहा है। श्राद्ध को लेकर कई तरह की बातें होती हैं। आज हम पंडित गरुड प्रसाद शुक्ला से पृतपक्ष और श्राद्ध के बारे में विस्तार से जानेंगे। पंडित गरुड़ प्रसाद शुक्ला कहते हैं कि श्राद्ध में कौआ का विशेष महत्व है। कौआ यम का प्रतीक है, जो दिशाओं का फलित (शुभ-अशुभ) संकेत देने वाला बताया गया है। इस कारण से पितृ पक्ष में श्राद्ध का एक अंश कौओं को भी दिया जाता है।
पंडित गरुड प्रसाद शुक्ला कहते हैं कि श्राद्ध पक्ष में कौआ यदि आपके हाथों से दिया गया भोजन प्रसाद ग्रहण कर ले, तो मान्यता है कि आपके पितरों की कृपा आपके ऊपर है, पितर आपसे प्रसन्न हैं। इसके विपरीत यदि कौआ भोजन करने नहीं आए, तो यह माना जाता है कि पितर आपसे विमुख हैं या नाराज हैं।
व्यक्ति मरकर सबसे पहले कौआ के रूप में जन्म लेता है
पंडित शुक्ला के मुताबिक मान्यता है कि व्यक्ति मरकर सबसे पहले कौआ के रूप में जन्म लेता है और कौआ को खाना खिलाने से वह भोजन पितरों को मिलता है। इसका कारण यह है कि पुराणों में कौए को देवपुत्र माना गया है। इन्द्र के पुत्र जयन्त ने ही सबसे पहले कौए का रूप धारण किया था। यह कथा त्रेतायुग की है, जब भगवान श्रीराम ने अवतार लिया और जयंत ने कौए का रूप धारण कर माता सीता के पैर में चोंच मारा था।
पंडित शुक्ला आगे बताते हैं कि इसके बाद भगवान श्रीराम ने तिनके का बाण चलाकर जयंत की आंख फोड़ दी थी। जब उसने अपने किए की माफी मांगी, तब राम ने उसे यह वरदान दिया कि तुम्हें अर्पित किया भोजन पितरों को मिलेगा। तभी से श्राद्ध में कौओं को भोजन कराने की परम्परा चली आ रही है। यही कारण है कि श्राद्ध पक्ष में कौओं को ही पहले भोजन कराया जाता है।
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