सैनीटरी नैपकिंस को नष्ट करने के लिए पंजाब के सरकारी स्कूलों में लगेंगी इनसिनरेटर मशीनें

Daily Samvad
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डेली संवाद, चंडीगढ़
सैनीटरी नैपकिनज़ को सुरक्षित तरीके से नष्ट करने को यकीनी बनाने के उद्देश्य से पंजाब सरकार ने मैनस्ट्रुअल हाईजिन स्कीम (सुरक्षित मासिक-धर्म स्कीम) के अंतर्गत 7 जिलों के सरकारी स्कूलों में कुल 100 इनसिनरेटर मशीनें लगाई गई हैं।

इस सम्बन्धी जानकारी देते हुए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री स. बलबीर सिंह सिद्धू ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग ने शिक्षा विभाग के सहयोग के साथ राज्य के 7 जिलों मोगा, मुक्तसर, बठिंडा, फाजिल्का, फरीदकोट, फिऱोज़पुर और एस.ए.एस नगर में पायलट प्रोजैक्ट के तौर पर 100 इनसिनरेटर मशीनें लगाई हैं।

उन्होंने कहा कि मैनस्ट्रुरल वेस्ट को नष्ट करना एक बड़ी चुनौती है, इससे न केवल स्वास्थ्य बल्कि वातावरण भी प्रभावित होता है और इस वेस्ट को नष्ट करने के लिए सभ्य और स्थायी हल अपेक्षित है। उन्होंने कहा कि इनसिनरेटर मशीनें लगाना सैनीटरी नैपकिनों को नष्ट करने का एक सभ्य और साफ़-सुथरी विधि है।

सैनीटरी नैपकिनज़ के वेस्ट को जला कर नष्ट किया जाता है

यह एक वातावरण-समर्थकी ढंग है जिसमें सैनीटरी नैपकिनज़ के वेस्ट को जला कर नष्ट किया जाता है और पानी का कोई दुरुपयोग नहीं होता। इनसिनरेशन के बाद पैदा हुई राख डिस्पोज़ल के लिए सुरक्षित होती है। उन्होंने कहा कि सकारात्मक नतीजे प्राप्त होने के बाद यह प्रोजैक्ट राज्य के दूसरे जिलों में भी चलाया जायेगा।

उन्होंने कहा कि मांहवारी एक कुदरती प्रक्रिया है जो कि अभी तक समाज में न-जि़क्रयोग्य (वर्जित) बात मानी जाती है और इसको साफ़-स्वच्छ विषय के तौर पर नहीं देखा जाता। सुरक्षित और साफ़-सुथरी मांहवारी हर एक लडक़ी का हक है क्योंकि यह लड़कियों और महिलाओं की सेहत, शिक्षा और प्रतिष्ठा के लिए बहुत अहम स्थान रखती है।

मंत्री ने बताया कि तथ्यों से यह स्पष्ट होता है कि समाज की लाज-शर्म और असुविधा के कारण सभ्यक मांहवारी उत्पादों को प्राप्त न करने के कारण ज्यादातर लड़कियों को स्कूल तक छोडऩा पड़ जाता है। उन्होंने कहा कि प्रजनन और सैक्स स्वास्थ्य से सम्बन्धित एक संस्था के मुताबिक 23 प्रतिशत लड़कियों ने मांहवारी को स्कूल छोडऩे का मुख्य कारण बताया है।

ग्रामीण क्षेत्र की 10 से 19 साल की किशोर लड़कियाँ उठा सकती हैं लाभ

स्वास्थ्य मंत्री ने आगे बताया कि पंजाब सरकार ने जि़ला बठिंडा, फाजिल्का, फिऱोज़पुर, फरीदकोट एस.ए.एस नगर, मोगा और मुक्तसर के ग्रामीण इलाकों की किशोर लड़कियों के लिए ‘मुस्कान’ ब्रांड के नाम अधीन मैनस्ट्रुअल हाईजिन स्कीम ( एमएचएस) 2018-19 की फिर शुरुआत की है। उन्होंने बताया कि ग्रामीण इलाकों की किशोर लड़कियों की सुरक्षित मांहवारी हेतु राज्य सरकार ने साल 2018-19 के एमएचएस बजट के लिए 139 लाख रुपए अलॉट किये हैं। ग्रामीण क्षेत्र की 10 से 19 साल की किशोर लड़कियाँ इस स्कीम का वाजिब कीमतों पर लाभ ले सकती हैं।

बलबीर सिंह सिद्धू ने कहा कि एमएचएस का मुख्य उद्देश्य स्वच्छता के प्रति जागरूकता फैलाना और आशा वर्करों और एएनएम के द्वारा किशोर लड़कियों के लिए सैनीटरी नैपकिनों की उपलब्धता को बढ़ावा देना है। उन्होंने बताया कि एमएचएस स्कीम के अंतर्गत बढिय़ा किस्म का सूचनात्मक और शिक्षित करने वाली सामग्री जैसे वीडियो (लघु फि़ल्म) और पढऩे की सामग्री आदि तैयार की जा रही है जिससे किशोर लड़कियों को साफ़ और सुरक्षित मासिक धर्म के लिए उचित जागरूकता दी जा सके।

आशा वर्करों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है

मंत्री ने बताया कि पायलट जिलों में आशा वर्करों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है जिससे सैनीटरी नैपकिनों के प्रयोग और वितरण को ‘मुस्कान’ के अंतर्गत किशोर लड़कियों में प्रफुल्लित किया जा सके। उन्होंने कहा कि शिक्षा, महिला एवं बाल विकास जैसे विभागों का सहयोग लेकर यह यकीनी बनाया जा रहा है कि सकारात्मक और सामाजिक ढंग से इस स्कीम को किशोर लड़कियों की आसान पहुँच तक लाया जा सके।

स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि रेडिमेड नैपकिन शहरी औरतों के लिए कोई मसला नहीं है परन्तु अभी भी ग्रामीण औरतों में इसकी मुकम्मल पहुँच नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि हम जानते हैं कि मैनस्ट्रुअल हाईजिन पेशाब सम्बन्धी समस्याएँ, प्रजनन और बदबू आदि कई छोटी-बड़ी समस्याओं को टालने में अहम भूमिका निभाती है।

उन्होंने बताया कि भारत में हुए अध्ययन यह स्पष्ट करते हैं कि अधिक कीमत, जानकारी की कमी और डिस्पोज़ल सहूलतों की कमी नैपकिनों के प्रयोग में बड़ी रुकावट बनते हैं। उन्होंने कहा कि यह चिंता का विषय है और वह इस मुद्दे को कैबिनेट के सामने पेश करेंगे जिससे राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में हर उम्र की औरतों के लिए सैनीटरी नैपकिनों को उपलब्ध करवाया जा सके।

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