स्थानीय निकाय मंत्री ने नगर निगमों, कमेटियों और नगर पंचायतों से आवारा पशुओं सम्बन्धी माँगा डाटा
डेली संवाद, चंडीगढ़
पंजाब सरकार पिछले कुछ समय के दौरान राज्य में सामाजिक-आर्थिक उथल-पुथल का कारण बने आवारा पशुओं से निपटने के लिए एक विस्तृत नीति लाने के लिए पूरी तरह तैयार है। स्थानीय निकाय मंत्री श्री ब्रह्म मोहिन्द्रा ने सभी शहरी स्थानीय इकाईयों को अपने-अपने क्षेत्र से सम्बन्धित आवारा पशुओं की जानकारी एकत्रित करने के लिए निर्देश जारी किये हैं। यह जानकारी आवारा पशुओं के खतरे से निपटने के लिए बनाई जा रही विस्तृत नीति की नींव मज़बूत करने में सहायक होगी।
यहाँ जारी एक प्रैस बयान में स्थानीय निकाय मंत्री श्री ब्रह्म मोहिन्द्रा ने कहा कि पंजाब सरकार लोगों के जान-माल के नुकसान का कारण बनते जा रहे आवारा पशुओं के संवेदनशील मुद्दे के प्रति गंभीर है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने 27 सितम्बर को जारी किये हुक्मों में अवारा पशुओं के मुद्दे सम्बन्धी अध्ययन के लिए कैबिनेट सब कमेटी का गठन किया है और यह कमेटी आवारा पशुओं के कारण पैदा हुए खतरे को टालने सम्बन्धी योग्य सुझाव पेश करने के लिए वचनबद्ध है। उन्होंने बताया कि इस कैबिनेट सब कमेटी की मीटिंग अगले महीने में होने की संभावना है।
आवारा पशुओं के कारण पैदा हुई मुश्किलों सम्बन्धी सवाल
स्थानीय निकाय मंत्री ने कहा कि उन्होंने विभाग के प्रमुख सचिव को राज्य की हरेक म्यूंसिपल कोर्पोरेशन, म्यूंसिपल कमेटी, नगर पंचायत को अपने क्षेत्र से संबंधित आवारा पशुओं के कारण पैदा हुई मुश्किलों सम्बन्धी सवाल (कुऐरीज़) इकठ्ठा करने के लिए हिदायत की है। उन्होंने बताया कि अब तक जो सवाल शहरी स्थानीय इकाईयों के सामने आए हैं उनमें, म्यूंसिपल कोर्पोरेशन, म्यूंसिपल कमेटी, नगर पंचायत की सीमाओं में कितने आवारा पशु हैं ?
सरकारी या निजी गौशाला में कितने आवारा पशु रखे जा चुके हैं? इन एजेंसियों को कितने फंड दिए जा चुके हैं और इन एजेंसियों द्वारा फंड जुटाने का क्या साधन है?, गौशाला का सामथ्र्य कितना है और उसमें कितने पशु रखे गए हैं? गौशाला का रख-रखाव करने वाले कर्मचारी/ अधिकारी का नाम क्या है?
पिछले पाँच सालों से अब तक अवारा पशुओं के कारण कितने हादसे और मौतें हुई हैं? ‘काओ सैस’ के नाम पर विभागों की तरफ कितने फंड बकाया हैं? आवारा पशुओं की समस्या से निपटने के लिए कितनी ज़मीन अपेक्षित है और स्थानीय निकाय द्वारा इस समस्या को रोकने के लिए अब तक क्या कदम उठाए गए हैं? आदि सवाल शामिल हैं।
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