डेली संवाद, जालंधर
जालंधर नगर निगम की हद में आती 109 अवैध कालोनियों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई के लिए तैयारी है। ये वे कालोनियां हैं, जिनके मालिकों को नगर निगम ने नोटिस जारी किया है। बावजूद इसके इन कालोनियों के डेवलपरों ने किसी भी तरह का कोई जवाब नहीं दिया। उलटे नेताओं और विधायकों से अधिकारियों पर दबाव बनाने में जुटे हैं। हालांकि इन अवैध कालोनियों को कटवाने के पीछे इंस्पैक्टर से लेकर बिल्डिंग ब्रांच के अधिकारी और उच्च अधिकारियों का भी हाथ बताया जा रहा है।
इससे पहले स्थानीय निकाय मंत्री रहे नवजोत सिंह सिद्धू ने जालंधर समेत सभी नगर निगमों की अवैध कालोनियों पर बड़ी कार्ऱवाई की थी। सिद्धू ने कई अवैध कालोनियों के मालिकों पर भी शिकंजा कसवाया था, इसमें नगर निगम के कई अधिकारी भी नपे थे। लेकिन सिद्धू के हटते ही अवैध कालोनियों का नैक्सेस तेजी के साथ फिर से पनपने लगा। इससे जहां निगम खजाने को करोड़ों रुपए की चपत लग रही है, वहीं लोगों को ये कालोनाइजर ठग रहे हैं।
आपको बता दें कि पंजाब सरकार की रेगुलराइजेशन पॉलिसी के तहत कालोनियों को नियमित करने के लिए सरकार कानून लेकर आई थी। जिसके तहत कालोनाइजरों ने आवेदन मांगे गए थे। लेकिन कालोनाइजरों ने इसमें कोई रुचि नहीं दिखाई। जिससे सरकार को करोड़ों रुपए के राजस्व के आने की योजना को करारा झटका लगा है।
जालंधर के अधिकारियों ने बनाई प्लानिंग
जालंधर नगर निगम के ज्वाइंट कमिश्नर हरचरण सिंह ने बिल्डिंग ब्रांच के अधिकारियों से अवैध कालोनियों की सूची तलब की है। बिल्डिंग ब्रांच के सूत्रों के मुताबिक अवैध कालोनियों की लिस्ट में 109 कॉलोनियां शामिल हैं। इन कालोनियों पर कार्ऱवाई को लेकर हलचल तेज हो गई है। इसे लेकर सबसे ज्यादा परेशान इंस्पैक्टर और इलाके के एटीपी हैं। उधर, इस मामले में एसटीपी परमपाल कहते हैं कि अवैध कालोनियों पर नगर निगम लगातार कार्रवाई कर रहा है।
कालोनाइजरों से होती है लाखों की डील
नगर निगम के सूत्रों की माने तो ये 109 कालोनियां एक दिन नहीं कटी। इसके लिए बाकायदा रैकेट काम कर रहा है। इंस्पैक्टर से लेकर ऊपर के अधिकारी तक पैसा पहुंचता है। निगम के ही एक अधिकारी बताते हैं कि छोटी सी छोटी अवैध कालोनी को कटवाने के लिए अफसर 1 लाख रुपए की डिमांड करता है। इस हिसाब से प्रति कालोनी 1 लाख रुपए चढ़ावा होता है तो 109 लाख रुपए निगम अधिकारियों की जेब में पहुंच गए हैं।
नोट – नगर निगम कमिश्नर दीपर्वा लाकड़ा से उनकी प्रतिक्रिया के लिए डेली संवाद डाट काम द्वारा संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन उनसे बातचीत नहीं हो सकी। अगर इस मामले में निगम कमिश्नर व अन्य कोई अधिकारी अपना आधिकारिक पक्ष रखता है तो उसे डेली संवाद डाट काम भविष्य में प्रमुखता से प्रकाशित करेगा।
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