नई दिल्ली। महाराष्ट्र की सियासत पर सोमवार को उच्चतम न्यायालय में सुनवाई हुई। कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना की तरफ से अदालत में पेश हुए वकीलों ने जहां आज ही अदालत से बहुमत परीक्षण कराने की मांग की। वहीं सत्तापक्ष के वकील ने कहा कि बहुमत परीक्षण तो होना ही है लेकिन उन्हें और समय दिया जाना चाहिए।
इस दौरान अदालत में इस बात का खुलासा हुआ कि राज्यपाल ने फडणवीस सरकार को सदन में बहुमत परीक्षण के लिए 14 दिनों का समय दिया है। पहले कहा जा रहा था 30 नवंबर तक सरकार को बहुमत साबित करना है लेकिन नए खुलासे से पता चला है कि फडणवीस सरकार को 7 दिसंबर तक राज्यपाल ने बहुमत परीक्षण का समय दिया है। हालांकि सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। अब मंगलवार सुबह 10.30 बजे अदालत अपना फैसला सुनाएगा।
खास बातें
- महाराष्ट्र के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर 24 घंटे और सस्पेंस
- एसजी ने राज्यपाल और फडणवीस का पत्र कोर्ट के सामने प्रस्तुत किया
- एसजी ने पूरे घटनाक्रम की जानकारी दी, राज्यपाल की ओर से रोहतगी ने बताया
- अजित पवार ने 54 एनसीपी विधायकों के समर्थन की बात कही
- एसजी ने राज्यपाल के फैसले को चुनौती न देने और बहुमत परीक्षण तुरंत न कराने की दलील दी
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा, राज्यपाल की भूमिका पर सवाल नहीं लेकिन बताएं इस समय सरकार के पास बहुमत है
- एक पवार मेरे साथ, दूसरे पवार उनके साथ, वहां भी सरकार नहीं बनी यहां भी एक-एक याचिका में तीन-तीन वकील
- अजित पवार के वकील ने कहा, हमारी चिट्ठी सही और मैं ही असली एनसीपी हूं
- अभिषेक मनु सिंघवी ने एनसीपी के 53 विधायकों के समर्थन की चिट्ठी पेश करने की बात की
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा, यदि आप यह देंगे तो हमें इस पर फिर जवाब लेना होगा और हम बहुमत परीक्षण पर फैसला नहीं दे पाएंगे
- इसके बाद अभिषेक सिंघवी ने एनसीपी विधायकों की बात छोडक़र तुरंत बहुमत परीक्षण कराने पर ही फैसला देने को कहा
- रोहतगी ने कोर्ट को दी जानकार, राज्यपाल ने बहुमत परीक्षण के लिए 14 दिन का वक्त दिया है, ऐसे में 30 नवंबर की तारीख गलत
- फडणवीस के वकील रोहतगी ने कहा राज्यपाल ने बहुमत साबित करने के लिए 14 दिनों का वक्त दिया है।
- रोहतगी ने कहा कि विधानसभा की कुछ परंपराए होती हैं। स्पीकर के चुनाव के बाद ही बहुमत परीक्षण हो सकता है। एक याचिका पर तीन-तीन वकील हैं।
- मेहता ने कहा कि ये तीनों दल एक वकील पर भी सहमत नहीं हुए। शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी की लिस्ट में गड़बड़ी है।
- अदालत ने कहा कि हम क्या आदेश देंगे। यह हमपर छोड़ दिया जाए। हमें पता है कि क्या आदेश देना है।
- सिंघवी ने अदालत में कहा कि बहुमत परीक्षण से पता चलेगा जब आप औंधे मुंह गिरेंगे। अदालत को 48 नहीं बल्कि 24 घंटे में बहुमत परीक्षण कराने की समयसीमा तय किए जाने का आदेश देना चाहिए।
- सिंघवी ने कहा कि मैं इन बातों पर जोर नहीं देना चाहता, मगर ये बातें अपने आप में आधार हैं। आज ही बहुमत परीक्षण होना चाहिए।
- सिंघवी ने कहा कि दोनों पक्ष बहुमत परीक्षण को सही बता रहे हैं तो फिर इसमें देरी क्यों।
- सिब्बल ने कहा कि रात में सब तय हुआ। बहुमत परीक्षण दिन के उजाले में हो।
- सिंघवी ने कहा कि फौरन प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति हो। मेरे पास एनसीपी के 48 विधायकों का समर्थन है। सदन में जल्दी शक्ति परीक्षण होना चाहिए।
- अदालत ने कहा कि अब बहुमत परीक्षण को लेकर बात हो।
- एनसीपी और कांग्रेस की तरफ से अदालत में पेश हुए अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि दोनों पक्ष बहुमत परीक्षण के लिए तैयार हैं।
- सिब्बल ने कहा कि पूरी कार्रवाई शक के घेरे में है। उस आपातकाल का अदालत में खुलासा करें। पोटेम स्पीकर बनाकर तुरंत बहुमत परीक्षण हो।
- सिब्बल ने कहा कि राज्यपाल ने किसके कहने पर राष्ट्रपति शासन हटाया? बहुमत परीक्षण से आपत्ति क्यों? कैबिनेट ने कब राष्ट्रपति शासन हटाने की मंजूरी दी? सदन में तुरंत बहुमत परीक्षण कराया जाना चाहिए।
- शिवसेना की तरफ से अदालत में पेश हुए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने पूछा कि ऐसा क्या राष्ट्रीय आपातकाल था कि राष्ट्रपति शासन को सुबह 5.17 पर निरस्त करके सुबह 8 बजे शपथ दिलाई गई? राष्ट्रपति शासन को सुबह 5.17 बजे हटाया गया जिसका मतलब है कि 5.17 से पहले सब कुछ हुआ।
- मनिंदर सिंह ने कहा कि यदि बाद में कोई स्थिति बनी है तो इसे राज्यपाल देखेंगे। इसे उनके ऊपर छोड़ा जाए। अदालत इसमें दखल क्यों दे।
- मनिंदर सिंहने कहा कि जो चिट्ठी राज्यपाल को दी गई है वो कानूनी तौर पर सही है। फिर विवाद क्यों?
- अदालत में अजित पवार की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील मनिंदर सिंह ने कहा कि मैं ही एनसीपी हूं। जी हां, मैं ही एनसीपी हूं। (इस पर अदालत परिसर में हंसी गूंजी उठी) विधायक मेरे साथ हैं। जैसे भी हो इस मामले का हल निकले। विधायक करें या फिर अदालत तय करे।
- तुषार मेहता ने अदालत में कहा कि इन्हें चिंता है कि विधायक भाग जाएंगे। इन्होंने अभी किसी तरह उन्हें पकड़ा हुआ है। विधानसभा की कार्रवाई कैसे चलेगी? अदालत को इसमें हस्तक्षेप करने से बचना चाहिए।
- राज्यपाल को बहुमत परीक्षण के लिए समयसीमा तय करने को नहीं कहा जा सकता। यह राज्यपाल का विवेकाधिकार है। उनके कदम को दुर्भावना से प्रेरित नहीं कहा जा सकता।
- रोहतगी ने कहा कि विधानसभा में मत विभाजन होगा, लेकिन राज्यपाल पर आरोप क्यों? उन्होंने भी बहुमत परीक्षम के लिए कहा है। बहुमत परीक्षण कब होगा इसे तय करने का अधिकार राज्यपाल के पास है।