नई दिल्ली। कांग्रेस नेता एवं देश के पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम को बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को उन्हें प्रवर्तन निदेशालय द्वारा दर्ज उक्त मामले में जमानत दे दी। इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने यह भी हिदायत दी कि चिदंबरम सबूतों से छेड़छाड़ नहीं करेंगे और ना ही गवाहों को प्रभावित करेंगे। यही नहीं इस मामले में वह सार्वजनिक बयानबाजी नहीं करेंगे। साथ ही मीडिया में साक्षात्कार भी नहीं देंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने चिदंबरम को दो लाख के निजी मुचलके और इतनी ही राशि के दो जमानती पेश करने पर सशर्त जमानत दी। सर्वोच्च अदालत के निर्देशों के मुताबिक, चिदंबरम अदालत की बिना इजाजत के देश से बाहर नहीं जा पाएंगे। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने चिदंबरम की जमानत ठुकराने के हाईकोर्ट के आदेश को रद कर दिया।
जस्टिस आर भानुमति की पीठ ने बीते 28 नवंबर को कांग्रेस नेता की जमानत याचिका पर सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। चिदंबरम को अगस्त महीने में हिरासत में लिया गया था। इसके बाद उन्हें तिहाड़ जेल भेजा गया था।
भ्रष्टाचार मामले में 21 अगस्त को गिरफ्तार किया था
उल्लेखनीय है कि पूर्व केंद्रीय मंत्री चिदंबरम को सीबीआइ ने पहली बार आइएनएक्स मीडिया भ्रष्टाचार मामले में 21 अगस्त को गिरफ्तार किया था। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 22 अक्टूबर को चिदंबरम को जमानत दे दी थी। इसी दौरान ईडी ने 16 अक्टूबर को मनी लांड्रिंग मामले में उन्हें गिरफ्तार कर लिया था।
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सुनवाई के दौरान दलील दी थी कि पूर्व वित्त मंत्री हिरासत में होने के बावजूद महत्वपूर्ण गवाहों पर अपना ‘प्रभाव’ रखते हैं। चिदंबरम की जमानत याचिका का विरोध करते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि मनी लांड्रिंग जैसा अपराध गंभीर है। यह अपराध देश की अर्थव्यवस्था को ही प्रभावित नहीं करता है वरन व्यवस्था के प्रति जनता के विश्वास को डिगाता है। दूसरी ओर पूर्व वित्त मंत्री की ओर से दलील दी गई थी कि जांच एजेंसी इस तरह के निराधार आरोप लगाकर उनकी प्रतिष्ठा को धूमिल नहीं कर सकती है।