चंडीगढ़। पंजाब विधानसभा ने एक प्रस्ताव पारित करके कहा है कि केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में बनाया गया नागरिकता संशोधन कानून असंवैधानिक है। नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ यह प्रस्ताव पंजाब सरकार लेकर आई थी। बता दें कि नागरिकता संशोधन कानून को लेकर पूरे देश में विरोध प्रदर्शन चल रहा है। पंजाब के सीएम अमरिंदर सिंह ने भी इस कानून का विरोध किया है।
पंजाब में सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी ने विधानसभा में सीएए के खिलाफ प्रस्ताव रखा। कांग्रेस ने मांग की कि इस कानून को खत्म किया जाए। राज्य के मंत्री के ब्रह्म मोहिंद्रा ने विधानसभा के दो दिवसीय विशेष सत्र के दौरान इस सीएए के खिलाफ प्रस्ताव पेश किया। मोहिंद्रा ने कहा, ‘संसद द्वारा बनाए गए नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ देशभर में गुस्सा है और इसका विरोध हुआ है। पंजाब में भी इस कानून के खिलाफ प्रदर्शन हुआ है जो शांतिपूर्ण रहा।’
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अमरिंदर सिंह ने सीएए का किया विरोध
विधानसभा ने पंजाब सरकार के इस प्रस्ताव को पारित कर दिया। बता दें कि पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने नागरिकता संशोधन कानून को लेकर कहा है कि भारत का धर्मनिरपेक्षता का तानाबाना हमेशा से ही मजबूत रहा है। इसे अलग-थलग करने का प्रयास किसी ने भी किया तो उसका इस देश की जनता के साथ-साथ कांग्रेस के द्वारा भी विरोध किया जाएगा।
कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा, ‘बीजेपी और इसके गठबंधन सहयोगी परिणामों के बारे में सोचे बिना इस ताने-बाने को तबाह करने में जुटे हुए हैं। एनडीए और उसके साथी भारत की विविधता की जड़ों पर हमला कर रहे हैं जहां पर उसकी नींव रखी हुई है।’
यह कानून भारतीय संविधान का उल्लंघन करता है
पंजाब की कांग्रेस सरकार ने मंगलवार को कहा था कि वह सीएए, राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) के मुद्दे पर सदन की भावना के अनुसार आगे बढ़ेगी. मुख्यमंत्री ने हाल ही में कहा था कि उनकी सरकार विभाजन करने वाले इस कानून को लागू नहीं होने देगी. यह कानून भारतीय संविधान का उल्लंघन करता है।
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कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने सीएए को निरस्त करने के प्रस्ताव को आगे बढ़ाने पर विचार करने के लिए पंजाब विधानसभा की सराहना की. अमरिंदर सिंह ने कहा कि वो अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने के खिलाफ नहीं है लेकिन वो मुसलमानों सहित कुछ धार्मिक समुदायों के खिलाफ सीएए में भेदभाव” के पूरी तरह से विरोधी थे।
इससे पहले दिसंबर 2018 में, केरल विधानसभा ने हाल ही में विवादास्पद कानून को खत्म करने की मांग करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया था, ऐसा करने वाला केरल देश का पहला राज्य बन गया था. इसने केंद्र से देशव्यापी विरोध शुरू करने वाले विवादास्पद कानून को रद्द करने के लिए कहा।