दिल्ली में भाजपा-अकाली गठबंधन टूटा, पंजाब में भी अकाली से अलग होना चाहती है भाजपा, पढ़ें

Daily Samvad
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भारतीय जनता पार्टी अकेले चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है

नई दिल्ली। शिरोमणि अकाली दल और भारतीय जनता पार्टी का गठबंधन दिल्ली में टूटने से पंजाब की सियासत पर इसका काफी असर पड़ेगा। बेशक अकाली दल की तरफ से दिल्ली में चुनाव न लड़ने की घोषणा कर दी गई है, लेकिन पंजाब में भारतीय जनता पार्टी के तमाम नेताओं ने कमर कस ली है।

हाल ही में भाजपा के प्रदेश प्रधान अश्विनी शर्मा की ताजपोशी समारोह में जब भाजपा के नेताओं ने मंच से घोषणा की कि पंजाब में भारतीय जनता पार्टी अकेले चुनाव लड़ने की तैयारी कर 2022 में अपनी सरकार का गठन कर सकती है तो पंडाल अमित शाह जिंदाबाद के नारों से गूंज उठा था।

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यह किसी से छिपा नहीं है कि शिरोमणि अकाली दल और भारतीय जनता पार्टी में खटास दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है और अकाली दल लगातार टूट रहा है। भाजपा और अकाली दल का गठबंधन पंजाब में तीन बार सत्ता प्राप्त कर चुका है और अकाली दल के नेता प्रकाश सिंह बादल पांच बार सूबे के सीएम रह चुके हैं।

पंजाब में तीखी राजनीति करने की तैयारी में है भाजपा

श्री अकाल तख्त साहिब द्वारा आरएसएस के खिलाफ फतवा जारी करना और आरएसएस चीफ मोहन भागवत के बयान की निंदा करना भी अकाली दल और भाजपा के बीच खटास का कारण है। भाजपा के पूर्व मंत्री मास्टर मोहन लाल, मदन मोहन मित्तल द्वारा खुलेआम भाजपा की स्टेज से यह कहना कि पंजाब में अब हमें अपनी सरकार बनानी होगी, भी इस खटास को दर्शा गया।

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दूसरी तरफ भाजपा की तरफ से पंजाब में आने वाले दिनों में तीखी राजनीति करने की तैयारी की जा रही है और बूथ स्तर पर भाजपा के वर्करों की कमेटियों का गठन किया जा रहा है । जहां-जहां अकाली दल के विधानसभा क्षेत्र है, वहां तेजतर्रार भाजपा नेताओं को जिम्मेदारियां दी जा रही हैं।

मदन मोहन मित्तल का कहना है कि अब भारतीय जनता पार्टी पंजाब में छोटे नहीं बल्कि बड़े भाई की भूमिका में है और अकाली दल को अब यह समझ लेना चाहिए कि वह अपनी मनमर्जी से सीट की बात नहीं कर सकता। अकाली दल को इतनी सीटों पर ही चुनाव लड़ना पड़ेगा जितनी भाजपा हाईकमान की तरफ से उनको दी जाएंगी।




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