नई दिल्ली। पटियाला हाउस कोर्ट ने निर्भया के दोषियों का तीसरा डेथ वॉरंट जारी करने की तिहाड़ प्रशासन की याचिका खारिज कर दी है। शुक्रवार को अदालत ने कहा कि जब कानून दोषियों को जिंदा रहने की इजाजत देता है, तो उन्हें फांसी देना पाप होगा। अदालत ने कहा कि केवल अटकलों और अनुमानों के आधार पर डेथ वॉरंट जारी नहीं किया जा सकता है। अदालत ने दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश का भी जिक्र किया, जिसमें दोषियों को कानूनी विकल्प के लिए 11 फरवरी तक का वक्त दिया है।
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निर्भया केस के चारों दोषियों के नए (तीसरे) डेथ वॉरंट के लिए तिहाड़ जेल प्रशासन ने पटियाला हाउस कोर्ट (निचली अदालत) में अर्जी दायर की थी। इसमें सीआरपीसी की धारा 413 और 414 के तहत फांसी की तारीख तय करने की मांग की गई थी। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश जस्टिस धर्मेंद्र राणा ने इस पर चारों दोषियों को शुक्रवार तक जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए थे।
फांसी की तारीख तय न करना नाइंसाफी: आशा देवी
पीड़ित की मां आशा देवी ने कहा- ”आज कोर्ट के पास ताकत और हमारे पास वक्त है। कुछ भी लंबित नहीं है, फिर भी डेथ वॉरंट जारी नहीं हुआ। यह हमारे साथ नाइंसाफी है। जब तक कोर्ट दोषियों को वक्त देता रहेगा और सरकार उन्हें सपोर्ट करती रहेगी, मैं इंतजार करूंगी।’
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निचली अदालत से दोषियों की फांसी टलने पर केंद्र सरकार और तिहाड़ जेल प्रशासन दिल्ली हाईकोर्ट पहुंचा था। बुधवार को दिल्ली हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद निचली अदालत के फांसी पर रोक के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी थी। साथ ही कहा- इसमें कोई शक नहीं कि दोषियों ने देरी की तरकीबों का इस्तेमाल कर प्रक्रिया को हताश किया।
मई 2017 में जब सुप्रीम कोर्ट ने दोषियों की अपील खारिज कर दी, तब किसी ने भी डेथ वॉरंट जारी के लिए पहल नहीं की। चारों दुष्कर्मियों को अलग-अलग फांसी नहीं दी जा सकती है। अब दोषी सभी कानूनी विकल्प एक हफ्ते में (11 फरवरी तक) इस्तेमाल करें और अधिकारी इन पर तुरंत एक्शन लें। इसके बाद केंद्र ने इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। इस पर अगली सुनवाई 11 फरवरी को होगी।