सुप्रीम कोर्ट ने SC/ST संशोधन एक्ट को दी मंजूरी, केंद्र सरकार को मिली बड़ी राहत, जाने पूरा फैसला

Daily Samvad
2 Min Read

नई दिल्ली। अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) संशोधन कानून 2018 पर सुप्रीम कोर्ट से केंद्र सरकार को बड़ी राहत मिली है. जस्टिस अरूण मिश्र, जस्टिस विनीत शरण और जस्टिस रवीन्द्र भट्ट की बेंच ने एससी-एसटी संशोधन कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया है।

अब एससी-एसटी संशोधन कानून के मुताबिक शिकायत मिलने के बाद तुरंत एफआईआर दर्ज होगी और गिरफ्तारी होगी. इस मामले में फैसला सुनाते हुए अदालत ने कहा कि कोर्ट सिर्फ उन्हीं मामलों में अग्रिम जमानत दे सकती है जहां पहली नजर में केस नहीं बनता दिख रहा है।

[ads1]

FIR से पहले जांच जरूरी नहीं

जस्टिस अरुण मिश्रा की अध्यक्षता में एक बेंच ने फैसले पर टिप्पणी करते हुए कहा कि एफआईआर दर्ज करने से पहले प्राथमिक जांच जरूरी नहीं है. इसके अलावा इस कानून में एफआईआर दर्ज करने के लिए वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की सहमति जरूरी नहीं है।

हालांकि इसी बेंच के एक दूसरे जज जस्टिस रविंद्र भट ने कहा कि देश के सभी नागरिकों को समान भाव से देखा जाना चाहिए ताकि भाई चारे की भावना विकसित हो सके. जस्टिस भट ने कहा कि अदालत एक एफआईआर को रद्द कर सकती है अगर एसटी/एसटी एक्ट के तहत पहली नजर में केस बनता नहीं दिख रहा है।

[ads2]

क्या है मामला

बता दें कि दरअसल 20 मार्च 2018 को अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के हो रहे दुरूपयोग के मद्देनजर सुप्रीम कोर्ट ने इस अधिनियम के तहत मिलने वाली शिकायत पर स्वत: एफआईआर और गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी।

इसके बाद संसद में सुप्रीम कोर्ट के आदेश को पलटने के लिए कानून में संशोधन किया गया था. इसे भी सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी. अब पहले के मुताबिक ही एफआईआर दर्ज करने से पहले वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों या नियुक्ति प्राधिकरण से अनुमति जरूरी नहीं होगी. बता दें कि एससी/एसटी एक्ट के मामलों में अग्रिम जमानत का प्रावधान नही है. न्यायालय असाधारण परिस्थितियों में एफआईआर को रद्द कर सकते हैं।















Share This Article
Leave a Comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *