पते की बात : बुंदेलखंड की धरती पर विकास की नई कहानी लिख रहे हैं मोदी-योगी

Daily Samvad
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लेखक, महाबीर जायसवाल वरिष्ठ पत्रकार हैं।

कई वर्षों से उपेक्षा का दंश झेल रहा बुंदेलखंड विकास की नई कहानी लिखने जा रहा है। इसके भागीदार खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बनने जा रहे हैं। अब वह दिन दूर नहीं, जब बुंदेलखंड सीधे देश की राजधानी दिल्ली से जुड़ेगा। यह संभव होने जा रहा है बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे से। यह वही एक्सप्रेसवे है जिसकी परिकल्पना कुछ महीने पहले यूपी के मुख्यमंत्री योगी ने किया था। इसी को अब धरातल पर उतारने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुंदेलखंड आ रहे हैं।

महान चन्देल शासक बिधाधर चन्देल और आल्हा-ऊदल जैसे शूरवीरों की धरती बुंदेलखंड विकास की नई कहानी लिखने जा रहा है। बुंदलेखंड को विकास की जरूरत है, वहां सुविधाओं की जरूरत है। इसे योगी सरकार ने भलीभांति समझा। जिससे बुंदेलखंड में रोजगार और सुगम सफर का ख्वाब साकार करने के लिए बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे की कल्पना की गई। यही एक्सप्रेसवे बुंदेलखंड के विकास की नई कहानी लिखेगा।

समग्र एवं समावेशी विकास की सोच वाले योगी

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सोच शुरू से ही प्रदेश के समग्र एवं समावेशी विकास की रही है। वह मानते हैं कि उनके लिए कुछ जिले और क्षेत्र लोग ही नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश के लोग वीआईपी हैं। इसीलिए उनका जितना फोकस पूर्वांचल और पश्चिम उत्तर प्रदेश पर है उतना ही बुंदेलखंड पर भी। सही मायनों में प्रदेश के यही दोनों क्षेत्र वर्षों से उपेक्षा के शिकार भी रहे हैं। अब पूर्वांचल के साथ बुंदेलखंड के दिन भी बहुरने वाले हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बुंदेलखंड को बड़ी सौगात बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे देने जा रहे हैं।

बुंदेलखंड को केंद्र मानकर योगी सरकार की योजनाएं पूरी हुई तो बुंदेलखंड का विकास खुद में नजीर बनेगा। 296.070 किमी. लंबे बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे का इसमे अहम योगदान होगा। इसमें चित्रकूट, बांदा, महोबा, हमीरपुर, जालौन और इटावा लाभान्वित होंगे। यह एक्सप्रेसवे प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र को देश की राजधानी दिल्ली से आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे के माध्यम से जोड़ेगा।

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बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे और राजापुर-पहाड़ी-कर्वी मार्ग पर पहाड़ी के पास डिफेंस कॉरिडोर के निर्माण से चित्रकूट के आध्यात्मिक पर्यटन को पंख लग जाएंगे। इसके साथ बुंदेलखंड के दूसरे ऐतिहासिक, पौराणिक स्थलों तक श्रद्धालुओं व पर्यटकों की पहुंच आसान होगी।

पर्यटन व आर्थिक विकास के दृष्टिकोण से अहम

बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे बुंदेलखंड में पर्यटन व आर्थिक विकास के दृष्टिकोण से अहम है। टूरिज्म के लिहाज से अगर हम देखें तो बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे से उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश को पूरा फायदा होगा। मंदाकिनी नदी के किनारे बसा चित्रकूट भारत के सबसे प्राचीन तीर्थस्थलों में से एक है। उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में 38.2 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला शांत और सुन्दर चित्रकूट प्रकृति और ईश्वर की अनुपम देन है। चारों ओर से विन्ध्य पर्वत श्रृंखलाओं और वनों से घिरे चित्रकूट को अनेक आश्चर्यो की पहाड़ी कहा जाता है। मंदाकिनी नदी के किनारे बने अनेक घाट और मंदिर में पूरे साल श्रद्धालुओं का आना-जाना लगा रहता है।

प्रभु श्री राम ग्यारह वर्ष चित्रकूट में ही बिताए

माना जाता है कि भगवान श्री राम ने सीता और लक्ष्मण के साथ अपने वनवास के चौदह वर्षो में ग्यारह वर्ष चित्रकूट में ही बिताए थे। इसी स्थान पर ऋषि अत्रि और सती अनसुइया ने ध्यान लगाया था। ब्रह्मा, विष्णु और महेश ने चित्रकूट में ही सती अनसुइया के घर जन्म लिया था। इसी जिले में राजापुर है। जहाँ कुछ लोग तुलसीदासजी का जन्म स्थान बताते हैं। यहां एक रामायण की कॉपी भी रखी हुई है। यहां देश ही नहीं दुनिया भर के टूरिस्ट आते हैं।

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बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे बनने से उन्हें जहां सुखद अनुभूति होगी, वहीं उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड में व्यवसायिक गतिविधियों को भी पूरा बल मिलेगा। यह एक्सप्रेसवे इटावा के पास आगरा लखनऊ एक्सप्रेस वे से जुड़ेगा। इसके बनने और आसपास शिक्षण संस्थाओं, उद्योगों के जरिए करीब 60 हजार लोगों को सीधे या अप्रत्यक्ष तौर पर रोजगार मुहैया होगा।




















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