
भोपाल। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अपने पद से इस्तीफा दे देिया है। शुक्रवार को उन्होंने मुख्यमंत्री निवास पर प्रेस कांफ्रेंस बुलाकर अपने इस्तीफे की घोषणा की। उन्होंने कहा कि 5 साल के लिए जनता ने मौका दिया था, 15 महीने में क्या गलती की है? भाजपा पहले दिन से ही खेल कर रही थी। भाजपा ने लोकतांत्रिक मूल्यों की हत्या की है। करोड़ों रुपए खर्च कर विधायकों की खरीद-फरोख्त की गई है।
[ads1]
कमलनाथ के इस्तीफे के बाद मध्य प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने का रास्ता साफ हो गया है। कहा जा रहा है कि भाजपा बागी विधायकों के बाद बहुमत सिद्ध कर प्रदेश में कमल खिलाने की पूरी तैयारी कर ली है। अब तक प्रदेश में 22 विधायकों के त्याग पत्र स्वीकार कर लिए गए हैं।
कांग्रेस के 16 बागी विधायकों का इस्तीफा स्वीकार
इसके पहले गुरुवार देर रात विधानसभा अध्यक्ष एन पी प्रजापति ने कांग्रेस के 16 बागी विधायकों के इस्तीफे को स्वीकार कर लिया है। ये सभी विधायक पिछले कई दिनों से बेंगलुरु में रुके हुए हैं और ज्योतिरादित्य गुट के है। कांग्रेस के कुल 22 विधायकों ने इस्तीफे अध्यक्ष को 10 मार्च को भेजे थे।
इनमें से छह के इस्तीफे पहले ही स्वीकार हो गए थे। गुरुवार देर रात जिन विधायकों के त्यागपत्र स्वीकार किए गए, उनमें हरदीप सिंह डंग, जसपाल सिंह जज्जी, राजवर्धन सिंह, ओपीएस भदौरिया, मुन्नालाल गोयल, जसवंत जाटव, रघुराज सिंह कंसाना, कमलेश जाटव, बृजेंद्र सिंह यादव, सुरेश धाकड़, गिरार्ज डंडोतिया, रक्षा संतराम, बिसाहूलाल सिंह, ऐदल सिंह कंसाना, मनोज चौधरी और रणवीर जाटव शामिल हैं।
[ads2]
कुल 22 विधायकों के त्यागपत्र हो चुके हैं
230 सदस्यीय विधानसभा में कुल 22 विधायकों के त्यागपत्र हो चुके हैं और दो सीट पहले से रिक्त हैं। इस तरह अब शेष सदस्यों की संख्या 206 रह गयी है। शुक्रवार की स्थिति में बहुमत साबित करने के लिए 104 विधायकों के मतों की आवश्यकता है। वर्तमान में भाजपा के 107 विधायक हैं। कांग्रेस के सदस्यों की संख्या घटकर 92 रह गयी है। इसके अलावा बसपा के दो, सपा का एक और चार निर्दलीय विधायक हैं।







