नई दिल्ली। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने विधान परिषद का सदस्य मनोनीत होने के लिए प्रधानमंत्री मोदी से मदद मांगी है। 27 मई को उन्हें सीएम बने 6 महीने पूरे हो जाएंगे। वो अब तक विधानसभा और विधान परिषद के सदस्य नहीं बन पाए हैं। संविधान के मुताबिक, पद पर बने रहने के लिए उन्हें 6 महीने में विधानसभा या विधान परिषद का सदस्य होना जरूरी है। अगर ऐसा नहीं हुआ तो उनकी कुर्सी खतरे में पड़ सकती है।
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न्यूज एजेंसी के मुताबिक, उद्धव ने प्रधानमंत्री को फोन करके सहायता मांगी। इस पर मोदी ने उन्हें मुद्दे पर विचार का भरोसा दिलाया। अगर राज्यपाल ठाकरे को सदस्य मनोनीत नहीं करते हैं तो संवैधानिक संकट खड़ा हो जाएगा। उद्धव को इस्तीफा देना पड़ेगा। उद्धव ठाकरे ने 9 और 28 अप्रैल को इस बारे में राज्यपाल को प्रस्ताव भेजे गए। हालांकि, राजभवन ने अब तक इस पर कोई फैसला नहीं लिया।
कोरोना संकट के बीच मुश्किल
महाराष्ट्र कैबिनेट ने सोमवार को भेजे प्रस्ताव में कहा था कि उद्धव राज्य में कोरोना संकट का सामना कर रहे हैं। यह बढ़ता जा रहा है। इन हालात में राजनीतिक अस्थिरता नहीं आनी चाहिए। इसलिए, विधान परिषद की एक खाली सीट पर उद्धव को मनोनीत करने की सिफारिश की जाती है।
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28 मई से पहले विधानपरिषद या विधानसभा की सदस्य बनना जरूरी
उद्धव फिलहाल, विधानमंडल के किसी भी सदन के सदस्य नहीं हैं। 28 नवंबर 2019 को शपथ ग्रहण के दौरान ही राज्यपाल कोश्यारी ने उन्हें छह महीने के अंदर विधानमंडल के किसी भी सदन का सदस्य बनने के लिए कहा था। आगामी 27 मई को बतौर मुख्यमंत्री छह महीने पूरे हो जाएंगे। उन्हें 28 मई तक दोनों में से किसी एक सदन का सदस्य बनना जरूरी है। अगर ऐसा नहीं होता तो संवैधानिक तौर पर वो सीएम नहीं माने जाएंगे। इस्तीफा देना होगा।
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