मेरठ। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मेरठ से खालिस्तान लिब्रेशन फोर्स (केएलएफ) के आतंकवादी तीरथ सिंह को उत्तर प्रदेश पुलिस ने दबोचा है। विदेशों में बैठे बड़े आतंकी यूपी-पंजाब के कुछ लोगों को फेसबुक के जरिए ‘2020 रेफरेंडम’ का हिस्सा बना रहे हैं, वहीं पंजाब के गैंगस्टर्स की मदद से हथियार सप्लायरों को अपने साथ जोड़ रहे हैं। पिछले तीन साल में वेस्ट से 12 आतंकी पकड़े जा चुके हैं।
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वेस्ट यूपी में केएलएफ के पैर पसारने का पहला मामला साल 2018 में सामने आया। मेरठ से पहाड़ सिंह और परवेज उर्फ फरु व गाजियाबाद से मलूक सिंह को एनआईए ने गिरफ्तार किया। तीनों केएलएफ को हथियार सप्लाई करते थे। इन्हीं हथियारों से पंजाब में साल- 2017 व 2018 में आठ हिन्दू-सिख नेताओं की हत्या की गई थी।
सीएम की रैली को बनाना था निशाना
दूसरा मामला शामली जिले में दो अक्टूबर 2018 को सामने आया। केएलएफ आतंकियों ने पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री की रैली को निशाना बनाने के लिए झिंझाना थाने के पुलिसकर्मियों के हथियार लूट लिए। इसमें पांच संदिग्ध आतंकियों की गिरफ्तारी हुई थी। इसी साल शामली से एटीएस ने दो हथियार सप्लायरों राज सिंह व आसिफ को गिरफ्तार किया। ये भी केएलएफ को हथियार सप्लाई करते थे।
यह दोनों इंग्लैंड में छिपे आतंकी परमजीत सिंह उर्फ पम्मा से जुड़े हुए थे। इसके बाद एटीएस ने केएलएफ से जुड़ा एक और हथियार सप्लायर मेरठ से पकड़ा। अब 30 मई को मेरठ से पकड़ा गया तीरथ सिंह भी केएलएफ के लिए हथियार सप्लाई और 2020 रेफरेंडम मुहिम से जुड़ा था।
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हथियार सप्लाई का सेफ कॉरीडोर
वेस्ट यूपी हथियार सप्लाई करने के लिए सेफ कॉरीडोर है। पिछले साल दिल्ली में हुई एनआईए और सभी एटीएस प्रमुखों की बैठक में यह बात सामने आई। उसकी कई वजहें हैं। मेरठ एनसीआर से सटा है। पंजाब, हरियाणा की सीमाएं इससे मिलती हैं। वेस्ट यूपी में कई जगहों पर अवैध हथियार बनते हैं और सस्ते में बिकते हैं। इसलिए आतंकी संगठनों की निगाह अब वेस्ट यूपी पर है, जहां से वे गोला-बारूद खरीदते हैं।