मुखबिरी के शक में पुलिस थाने का SO और सब-इंस्पेक्टर गिरफ्तार, पढ़ें पूरा मामला

Daily Samvad
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कानपुर। कानपुर केस में विकास दुबे के लिए मुखबिरी के शक में चौबेपुर थाने के सस्पेंड चल रहे एसओ विनय तिवारी और बीट प्रभारी केके शर्मा को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। जांच टीम को शक है कि विनय तिवारी ने ही विकास दुबे को इस बात की जानकारी दी थी कि रात में उसको पकड़ने के लिए टीम आने वाली है। इसके बाद विकास ने पुलिस पर हमला करने की योेजना बनाई और आठ पुलिस वाले इस हमले में मारे गए।

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आईजी मोहित अग्रवाल और एसएसपी दिनेश कुमार पी ने गिरफ्तारी की पुष्टि की है। कानपुर एसएसपी दिनेश कुमार पी ने कहा कि जांच के दौरान पाया गया कि विनय तिवारी और केके शर्मा ने ही पुलिस कार्रवाई की जानकारी पहले ही विकास दुबे को दे दी। सूचना मिल जाने पर उसने अपनी तैयारी कर ली और हमारी टीम पर हमला कर दिया, जिसमें अधिकारी समेत आठ पुलिसकर्मियों की जान चली गई। जांच के बाद हमने दोनों को गिरफ्तार कर लिया है और न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है।

विनय तिवारी शुरू से ही इस मामले में शक के घेरे में था। वह उस टीम में सबसे पीछे चल रहा था जो विकास को पकड़ने गई थी। कहा तो यह भी जा रहा है विकास ने रास्ते में जेसीबी लगाकर पुलिस का रास्ता रोकने की कोशिश की थी। विनय उसी जेसीबी के पीछे छुपा था। घटना के बाद से ही विनय जांच एजेंसियों के रडार पर था। प्रारंभिक जांच के बाद से ही उसे सस्पेंड कर दिया गया था।

सीओ ने पहले ही गंभीर घटना की दी थी चेतावनी

सीओ बिल्हौर रहे देवेंद्र मिश्र ने 14 मार्च 2020 को चौबेपुर थाने का निरीक्षण किया था। इस दौरान पता चला कि 13 मार्च को विकास दुबे के खिलाफ वसूली के लिए धमकी, बलवा, मारपीट, जान से मारने की धमकी की एफआईआर दर्ज हुई थी। जांच चौबेपुर थाने के दरोगा अजहर इशरत को सौंपी गई। अगले ही दिन विवेचक अजहर ने मुकदमे से वसूली के लिए जान से मारने की धमकी देने की धारा 386 हटा दी। सीओ ने पूछा तो दरोगा ने बताया कि थानेदार के कहने पर हटाई गई।

इसी दिन सीओ ने चौबेपुर थानेदार रहे विनय तिवारी के खिलाफ एसएसपी को रिपोर्ट भेजी। इसमें लिखा कि एक दबंग कुख्यात अपराधी के विरुद्ध थानाध्यक्ष द्वारा सहानुभूति रखना अब तक कार्रवाई न करना सत्य निष्ठा को संदिग्ध करता है। सीओ की रिपोर्ट के मुताबिक निलंबित थानेदार विनय तिवारी का विकास दुबे के घर आना जाना था। यदि थानेदार के खिलाफ कार्रवाई न की गई तो कोई गंभीर घटना हो सकती है। यह रिपोर्ट पुलिस कार्यालय आई और फाइलों में दब गई।ॉ

कल विनय तिवारी ने बताया था क्राइम सीन

चौबेपुर थाने के पूर्व एसओ को एसटीएफ मंगलवार को बिकरू गांव लेकर पहुंची। एसटीएफ ने पूरे मामले में विनय का बयान दर्ज किया था।इसके बाद मुठभेड़ के दौरान पुलिस वहां कैसे फंसी और गोलियां कहां से चल रही थी…? पूरे क्राइम सीन को समझा और एसओ कैसे बच गए, उन्हें खंरोच तक नहीं आई यह भी पूछा। इसके बाद टीम उन्हें लेकर लौट गई।

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चौबेपुर को छोड़ कई थानों को सौंपी गई जांच

बिकरू में हुई घटना के बाद अब चौबेपुर थाने से अधिकारियों का विश्वास उठ चुका है। थाने में तैनात पुलिस कर्मियों के अलावा दूसरे थानों से दरोगाओं को अलग अलग बिन्दुओं पर जांच के लिए तैनात किया गया है। अधिकारियों का मानना है कि जब तक चौबेपुर थाने के प्रत्येक पुलिस कर्मियों की जांच पूरी नहीं हो जाती इस केस में उनसे कोई काम नहीं लिया जाएगा। बिकरू में घटना के बाद इस मामले में नवाबगंज इंस्पेक्टर को घटना की विवेचना की जिम्मेदारी सौंपी गई है।

इसी तरह से कोतवाली के दरोगा को असलहों के सत्यापन कराने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। इसी तरह से घटना में ऑपरेशनल कार्य को करने के लिए कलक्टरगंज, नौबस्ता, बर्रा, स्वरूप नगर आदि थानों में दरोगाओं को लगाया गया है। चौबेपुर पुलिस को इस पूरे मामले से दूर रखा गया है। उन्हें सिर्फ बाकी क्षेत्र में कानून व्यवस्था सम्भालने की जिम्मेदारी ही सौंपी गई है।















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महाबीर जायसवाल, डेली संवाद ऑनलाइन में चीफ एडिटर हैं। वे राजनीति, अपराध, देश-दुनिया की खबरों पर दमदार पकड़ रखते हैं। वह 9 सालों से अधिक समय से Daily Samvad (Digital) में चीफ एडिटर के रूप में कार्यरत हैं। उन्होंने पत्रकारिता करियर की शुरुआत क्राइम की खबरों से की, जबकि उनके पास, अमर उजाला, दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण में रिपोर्टिंग से लेकर एडिटर तक 25 साल से अधिक पत्रकारिता का अनुभव है। उन्होंने इलाहाबाद की यूनिवर्सिटी से मास कॉम्यूनिकेशन, बीए और एमए की डिग्री हासिल की है।
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