मुजफ्फरनगर। जिला मुख्यालय से 30 किलोमीटर दूर शुक्रताल के एक आश्रम में हर रोज जैसे-जैसे दिन ढलता था, वैसे-वैसे वहां रहने वाले मासूमों में खौफ बढ़ता जाता था। रात को आश्रम का मैनेजर उन्हें ‘कोरोना की दवाई’ कहकर शराब पीने को मजबूर करता था, पॉर्न दिखाता था और उनका यौनशोषण करता था। अगर वे मना करते थे तो उनकी बेरहमी से पिटाई की जाती थी।
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ये बच्चे सालों से आश्रम में रहते हैं। उनके गरीब माता-पिता अच्छी शिक्षा-दीक्षा की आस में अपने जिगर के टुकड़ों को आश्रम बड़े विश्वास और उम्मीदों के साथ आश्रम भेजा है लेकिन यहां बच्चों की जिंदगी किसी नरक जैसी बन गई। आश्रम में रहने वाले मिजोरम के एक 10 साल के बच्चे ने चाइल्ड वेलफेयर कमिटी को दिए अपने बयान में बताया, ‘महाराज हमें कोरोना की दवा पिलाते थे। उसके बाद वह नंगे होकर लेट जाते थे और हमें गंदी फिल्में दिखाते थे और हमारे साथ गंदी चीजें करते थे।’
पुलिस ने बाबा को किया गिरफ्तार
बच्चे जिसे ‘महाराज’ बता रहे हैं, वह कथित संत बाबा भक्ति भूषण गोविंद महाराज है जो अपने साथी मोहन दास के साथ मिलकर आश्रम चलाता है। दोनों को POCSO ऐक्ट (प्रिवेंशन ऑफ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंस) और दुष्कर्म के लिए आईपीसी की धारा के तहत गिरफ्तार कर लिया गया है। आश्रम जुवेनाइल जस्टिस ऐक्ट के तहत रजिस्टर्ड भी नहीं है।
आश्रम में 7 से 16 साल के 9 और एक 18 साल के लड़के को छुड़ाया गया
वह मासूम उन 10 बच्चों में शामिल हैं, जिन्हें इस हफ्ते की शुरुआत में आश्रम से बचाया गया था। दरअसल, एक विसलब्लोअर को यौनशोषण पर आपत्ति जाहिर करने को लेकर आश्रम से निकाल दिया गया था और बाद में उसने आश्रम के ‘नरकलोक’ का खुलासा किया था। बच्चे त्रिपुरा और मिजोरम के हैं। इनमें से 9 की उम्र 7 से 16 साल के बीच है जबकि एक की उम्र 18 साल है। मेडिकल जांच में इनमें से 4 के साथ यौन उत्पीड़न की पुष्टि हुई है। इस सिलसिले में भोपा पुलिस स्टेशन में एफआईआर भी दर्ज हुई है।
बच्चों से शराब और बीड़ी मंगवाता था बाबा, दुष्कर्म के विरोध पर पीटता था
त्रिपुरा के रहने वाले 13 साल के एक लड़के ने बताया, ‘मुझे आश्रम के कुक ने अक्टूबर 2017 में यहां लाया था। मैं यहां गुलामों की तरह रहता था। मुझे महाराज का मसाज करने और उनके लिए शराब और बीड़ी लाने के लिए कहा जाता था।…वह मेरे साथ दुष्कर्म करते थे।’ त्रिपुरा के ही 18 साल के एक अन्य लड़के ने बताया, ‘मना करने पर सजा मिलती थी। नहीं कहने का मतलब था पिटाई होना।’ मिजोरम के रहने वाले 10 साल के एक अन्य लड़के ने भी यही बात कही, ‘अगर हमने मना किया तो वह पीटता था।’ बच्चों के मां-बाप जो पैसे भेजते थे उन्हें ‘रहने का खर्च’ कहकर पूरी तरह ले लिया जाता था।
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त्रिपुरा और मिजोरम के हैं सभी 10 बच्चे
मुजफ्फरनगर चाइल्डलाइन की डायरेक्टर पूनम शर्मा ने बताया, ‘उसने (विसलब्लोअर हरिओम) जो कुछ भी बताया वह बहुत परेशान करने वाला था।’ भोपा पुलिस के साथ मिलकर उनकी टीम ने आश्रम में छापा मारा और वहां से बच्चों को सुरक्षित निकाला। उनके मां-बाप को जानकारी दे दी गई है लेकिन लॉकडाउन के मद्देनजर यह कहना मुश्किल है कि वे यहां कब और कैसे आ पाएंगे।