डेली संवाद, चंडीगढ़
सुखबीर सिंह बादल द्वारा मनरेगा योजना के अंतर्गत समान की खरीद में 1000 करोड़ का घपला होने के दोष को सरासर झूठा, पूरी तरह से गैर जिम्मेदाराना, सच्चाई से कोसों दूर और संकुचित राजनीति से प्रेरित बताते हुए पंजाब के ग्रामीण विकास एवं पंचायत मंत्री तृप्त राजिन्दर सिंह बाजवा ने कहा है कि दरअसल अकाली दल का प्रधान मनरेगा के अंतर्गत गाँवों के हो रहे बेमिसाल विकास से घबराकर इसको किसी भी बहाने बंद करवाना चाहता है।
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पंचायत मंत्री ने कहा कि अपनी गलत नीतियों और लोक विरोधी फैसलों के कारण हाशिए पर आए हुए अकाली दल के प्रधान सुखबीर सिंह बादल से मनरेगा के अंतर्गत पंजाब भर के गाँवों में हो रहे बेमिसाल विकास कार्यों से लोगों में कांग्रेस सरकार की हो रही बल्ले-बल्ले बर्दाश्त ही नहीं हो रही। वह केंद्र सरकार में अपनी हिस्सेदारी के बलबूते यह विकास कार्य रोकना चाहता है, परन्तु उसे यह नहीं पता कि इस योजना के बंद होने से पंजाब में तकरीबन ढाई लाख गरीब परिवारों के चूल्हे बुझ जाएंगे।
520 करोड़ रुपए का ही खर्च किया
बाजवा ने कहा कि सुखबीर बादल का झूठ इस तथ्य से ही सिद्ध हो जाता है कि इस साल मनरेगा के कुल 800 करोड़ रुपए के बजट में से अब तक 390 करोड़ रुपए का कुल खर्च हुआ है जिसमें से मैटरियल की खरीद पर सिर्फ 88 करोड़ का ही खर्च हुआ है। उन्होंने कहा कि साल 2017 में बनी कांग्रेस सरकार द्वारा अब तक मैटीरियल पर सिर्फ 520 करोड़ रुपए का ही खर्च किया गया है।
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पंचायत मंत्री ने सुखबीर सिंह बादल से पूछा कि 520 करोड़ रुपए के खर्चे में से 1000 करोड़ रुपए का घपला कैसे संभव है। उन्होंने कहा कि सुखबीर सिंह बादल जैसे जिम्मेदार व्यक्ति को ऐसी गैरजिम्मेदाराना बयानबाजी और निर्मूल बातें नहीं करनी चाहिए। बाजवा ने बताया कि मनरेगा के अंतर्गत 60 प्रतिशत खर्चा लेबर और 40 प्रतिशत खर्चा मैटीरियल पर हो सकता है और मैटीरियल पर अब तक सिर्फ 22 प्रतिशत ही हुआ है।