डॉ. कमलजीत सोई (www.dailysamvad.com)
केंद्रीय कैबिनेट ने किसानों को बेहतर मूल्य दिलाने के लिए और मार्केटिंग व्यवस्था में परिवर्तन करते हुए तीन अध्यादेश पारित किया था। सरकार इसे ‘एक राष्ट्र, एक कृषि बाजार’ बनाने की ओर बढ़ते कदम के रूप में पेश कर रही है। कृषि क्षेत्र की कमियों को दूर करने व आत्मनिर्भर बनाने के लिए एक लाख करोड़ रुपये के कृषि अवसंरचना फंड की शुरुआत की है, जिससे गांव-गांव निजी निवेश बढ़ेगा, जिसका फायदा सीधे खेतों व छोटे-मझौले किसानों तक पहुंचना आवश्यक है।
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1. फॉर्मर्स प्रोड्यूस ट्रेड एंड कॉमर्स (प्रमोशन एंड फैसिलिटेशन) ऑर्डिनेंस
सरकार ने एक नया कानून- कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अध्यादेश, 2020 पेश किया है, जिसका उद्देश्य कृषि विपणन समितियों (एपीएमसी मंडियों) के बाहर भी कृषि उत्पाद बेचने और खरीदने की व्यवस्था तैयार करना है।
कृषि उपज, वाणिज्य और व्यापार (संवर्धन एवं सुविधा) अध्यादेश किसानों को उनकी उपज देश में किसी भी व्यक्ति या संस्था (APMC सहित) को बेचने की इजाजत देता है। अब यह सचमुच वन नेशन, वन मार्केट होगा। किसान अपना प्रोडक्ट खेत में या व्यापारिक प्लेटफॉर्म पर देश में कहीं भी बेच सकते हैं। इससे उनकी आमदनी बढ़ेगी।
2. एसेंशियल एक्ट 1955 में बदलाव
यह अनाजों, दलहनों, खाद्य तेल, आलू और प्याज को अनिवार्य वस्तुओं की सूची से हटाकर खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र को मुक्त कर देगा। यह निजी उद्यमियों को भरोसा और उन्हें इस क्षेत्र में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित करता है। इन सभी अध्यादेशों के जरिये सरकार 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने का मकसद हासिल कर सकेगी।
3. फॉर्मर्स अग्रीमेंट ऑन प्राइस एश्योरेंस एंड फार्म सर्विस ऑर्डिनेंस
व्यावसायिक खेती के समझौते वक्त की जरूरत हैं। विशेषकर छोटे और सीमांत किसानों के लिए, जो ऊंचे मूल्य की फसलें उगाना चाहते हैं, मगर पैदावार का जोखिम उठाते और घाटा सहते हैं। इस अध्यादेश से किसान अपना यह जोखिम कॉरपोरेट खरीदारों को सौंपकर फायदा कमा सकेंगे।
हाल में सरकार ने कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग की गाइडलाइन जारी की है। इसमें कॉन्ट्रैक्ट की भाषा से लेकर कीमत तय करने का फॉर्मूला तक दिया गया है। केंद्र ने एक और नया कानून- मूल्य आश्वासन पर किसान (बंदोबस्ती और सुरक्षा) समझौता और कृषि सेवा अध्यादेश, 2020– पारित किया है, जो कि कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग को कानूनी वैधता प्रदान करता है ताकि बड़े बिजनेस और कंपनियां कॉन्ट्रैक्ट पर जमीन लेकर खेती कर सकें।
किसानों को बड़ा लाभ पहुंचाने का कार्य
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने तीन अलग-अलग अध्यादेश जारी कर किसानों को बड़ा लाभ पहुंचाने का कार्य किया है।
सरकार को पूरी आशा है कि इस अध्यादेश से किसानों को फसलों का बेहतर दाम मिलेगा। उन्होंने कहा कि इस अध्यादेश के तहत किसानों को एक राष्ट्रीय ढांचा मिलेगा, जिससे कृषि व्यवसाय से जुड़ी कंपनियां, प्रोसेसर, थोक व्यापारी और निर्यातकों तथा किसानों के बीच पहले से कीमतों पर समझौते की छूट होगी।
सरकार ने जो कृषि सुधार किए हैं उसे किसानों को निश्चित रूप से लाभ मिलेगा। किसान अपनी फसल को जहां खुले बाजार में बेच पाएंगे। वहीं बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी, जिससे किसानों को अच्छा दाम मिलेगा। उन्होंने कहा कि अध्यादेश में विवाद निपटान की प्रक्रिया का भी प्रावधान किया गया है। इस तरह के विवादों का निपटान डीसी व एसडीएम के सामने किया जाएगा। इन्हें दीवानी अदालतों से बाहर रखा गया है।
किसानों को काफी फायदा पहुंचेगा
सरकार द्वारा जारी किए गए तीसरे अध्यादेश आवश्यक वस्तु संशोधन 2020 का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इस अध्यादेश के माध्यम से सरकार ने किसानों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से कई कृषि उत्पादों को इस कानून के दायरे से बाहर कर दिया है। आवश्यक वस्तु कानून में बदलाव की लंबे समय से मांग की जा रही थी। उन्होंने कहा कि अध्यादेश के जरिए अनाज, तेल, प्याज और आलू आदि को इस कानून से बाहर कर दिया गया है। इससे किसानों को काफी फायदा पहुंचेगा।
इस फंड से कृषि व ग्रामीण क्षेत्र में आमूल-चूल परिवर्तन आएगा. सोई ने कहा कि 8 जुलाई को प्रधानमंत्री जी की अध्यक्षता में कैबिनेट ने इस फंड को मंजूर करने का निर्णय लिया, कृषि मंत्रालय ने मात्र महीनेभर में सारी कार्यवाही पूरी कर दी और 9 अगस्त को पीएम ने इसका शुभारंभ भी कर दिया। यह अपने आप में एक बड़ी सफलता है।
आईडीबीआई के साथ एमओयू
12 सरकारी बैंकों व आईडीबीआई के साथ एमओयू भी हो चुका है, जो फंड के माध्यम से कृषि क्षेत्र के विकास के लिए तत्पर हैं। अब राज्य सरकारें इस दिशा में तेजी लाकर पैकेज का ठीक प्रकार से किसानों तक लाभ पहुंचाने में मदद करें. राज्यों में सर्वे करें, सेमिनारों का आयोजन हों, बैंकर्स व अन्य संबंधितों से भी चर्चा की जाएं।
केंद्र सरकार के अध्यादेशों से किसानों को बड़ा फायदा होने वाला है। कांट्रेक्ट फार्मिंग व क्लस्टर खेती होने से किसानों की आय में वृद्धि होगी। 10 हजार एफपीओ की स्कीम के लिए 6,865 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है, जिससे 85 प्रतिशत छोटे किसानों को लाभ मिलेगा। छोटे किसानों का रकबा, उत्पादन-उत्पादकता बढ़ाने की दृष्टि से इन एफपीओ की बड़ी भूमिका होगी। सामूहिक रूप से सिंचाई, खाद-बीज आदि सुविधाएं मिलने से खेती की लागत कम होगी।
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योजना के तहत लाभ
एग्री इंफ्रा फंड की योजना अवधि वित्तीय वर्ष 2020 से वित्तीय वर्ष 2029 (10 वर्ष) तक होगी। यह स्कीम किसानों, प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों, किसान उत्पाद संगठन, कृषि उद्यमियों आदि को सामुदायिक कृषि परिसंपत्तियों और फसलोपरांत कृषि मूलभूत संरचना के निर्माण में सहायता प्रदान करेगी। इसके तहत 2 करोड़ रू. तक के ऋण के लिए सीजीटीएमएसई योजना के तहत क्रेडिट गारंटी कवरेज और 3 प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से की ब्याज छूट के साथ ऋण के रूप में बैंकों एवं वित्तीय संस्थानों द्वारा 1 लाख करोड़ रू. दिए जाएंगे। योजना के दिशा-निर्देश जारी हो चुके हैं. एक पोर्टल भी खोला गया है।
केंद्र की नई स्कीम के तहत एफपीओ के गठन को भी राज्य सरकार आंदोलन के रूप में ले रही हैं। इनके माध्यम से फंड के सदुपयोग के लिए प्रस्ताव भेजे जाएंगे। प्रत्येक ब्लॉक से कम से कम दो प्रस्ताव भेजेंगे। नाबार्ड व एनसीडीसी को शामिल करते हुए मार्कफेड व अपेक्स बैंक की दो कमेटियां बनाई हैं। फंड से चलने वाली गतिविधियों का प्रारंभिक निर्धारण कर लिया है। 263 प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों व 54 विपणन समितियों को चिन्हित किया गया है।
एक जिला-एक पहचान की योजना बनाई है, जिससे जिलों में विशिष्ट उत्पादों को बढ़ावा दिया जायेगा। आत्मनिर्भर भारत के लिए आत्मनिर्भर प्रदेश बनाएंगे। स्टार्टअप्स को प्रोत्साहन देंगे व मंडियों का आधुनिकीकरण करेंगे। सरकार द्वारा मुफ्त बांटे जाने से नहीं, बल्कि इस तरह के फंड जैसी दीर्घकालीन योजनाओं को अमल में लाने से ही किसानों को वास्तविक लाभ होगा। (लेखक, भाजपा किसान मोर्चा के राष्ट्रीय प्रवक्ता हैं, ये उनके निजी विचार हैं।)
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