नई दिल्ली। कांगेस कार्यसमिति (CWC) की बैठक में ‘महाभारत’ का नजारा देखने को मिला। वरिष्ठ कांग्रेसियों की चिट्ठी सार्वजनिक होने के मामला छाया रहा। सोनिया गांधी ने अंतरिम अध्यक्ष पद से इस्तीफे की पेशकश की। साथ में उस चिट्ठी का जवाब भी दिया जिसमें नेतृत्व पर सवाल उठाए गए थे।
इसके बाद पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटनी ने चिट्ठी की आलोचना की। फिर राहुल गांधी ने बेहद तीखे लहजे में इसकी टाइमिंग पर सवाल खड़े किए। उन्होंने यहां तक कहा कि चिट्ठी बीजेपी के साथ मिलीभगत कर लिखी गई है। इसपर वरिष्ठ कांग्रेस गुलाम नबी आजाद उखड़ गए। उन्होंने कहा कि अगर मिलीभगत साबित हो गई तो वे इस्तीफा दे देंगे।
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कपिल सिब्बल ने ट्विटर बायो से कांग्रेस हटा दिया
दूसरी तरफ, वरिष्ठ कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने ट्विटर बायो से कांग्रेस हटा दिया है। उन्होंने राहुल के बीजेपी मिलीभगत वाले आरोप पर तीखे शब्दों में ट्वीट भी किया था जिसे बाद में डिलीट कर दिया। पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के तेवर खासे तीखे थे। राहुल गांधी ने कहा, ‘सोनिया गांधी के अस्पताल में भर्ती होने के समय ही पार्टी नेतृत्व को लेकर पत्र क्यों भेजा गया था?’
राहुल ने मीटिंग में कहा कि ‘पार्टी नेतृत्व के बारे में सोनिया गांधी को पत्र उस समय लिखा गया था जब राजस्थान में कांग्रेस सरकार संकट का सामना कर रही थी। पत्र में जो लिखा गया था उस पर चर्चा करने का सही स्थान सीडब्ल्यूसी की बैठक है, मीडिया नहीं।’ उन्होंने आरोप लगाया कि यह पत्र बीजेपी के साथ मिलीभगत में लिखा गया। प्रियंका गांधी ने भी गुलाम नबी आजाद से नाराजगी जाहिर की है। उन्होंने राहुल के सुर में सुर मिलाया है। दूसरी तरफ, गुलाम नबी आजाद ने कहा कि अगर बीजेपी से मिलीभगत साबित हो जाती है तो वे इस्तीफा दे देंगे।
मनमोहन-एंटनी ने भी फटकारा
पूर्व पीएम मनमोहन सिंह और वरिष्ठ कांग्रेसी एके एंटनी ने चिट्ठी लिखने के कदम की आलोचना की। दोनों नेताओं ने कहा कि सोनिया गांधी को नया पार्टी अध्यक्ष चुने जाने तक अंतरिम अध्यक्ष के पद पर बने रहना चाहिए। उन्होंने नेतृत्व में बदलाव की मांग रखने वाले नेताओं को फटकार भी लगाई।
सोनिया के पद छोड़ने की स्थिति में अभी के लिए पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटनी को कमान दी जा सकती है। वह गांधी परिवार के खासे करीबी हैं। AICC, CWC समेत कांग्रेस के कोर ग्रुप का हिस्सा हैं। एंटनी संकट के समय में पार्टी को याद आते रहे हैं और नेतृत्व से बड़ा संकट पार्टी के आगे फिलहाल दूसरा नहीं है।
CWC के बाहर भी झगड़ा
सोनिया को चिट्ठी लिखने वाले उन 23 कांग्रेसियों में से कपिल सिब्बल भी एक थे। राहुल गांधी के ‘बीजेपी संग मिलीभगत’ का आरोप लगाने के बाद सिब्बल ने ट्वीट किया, “राजस्थान हाई कोर्ट में कांग्रेस पार्टी को सफलतापूर्वक डिफेंड किया। मणिपुर में बीजेपी सरकार गिराने में पार्टी का बचाव किया।
पिछले 30 साल में किसी मुद्दे पर बीजेपी के पक्ष में कोई बयान नहीं दिया। लेकिन फिर भी हम ‘बीजेपी के साथ मिलीभगत कर रहे हैं।'” सिब्बल ने अपने ट्विटर बायो से कांग्रेस भी हटा दिया है। दूसरी तरफ, कांग्रेस आईटी सेल की पूर्व चीफ दिव्या स्पंदना ने चिट्ठी लिखने वालों पर निशाना साधा। उन्होंने लिखा, “न सिर्फ उन्होंने मीडिया में चिट्ठी लीक की, बल्कि CWC की हर एक बात भी लीक कर रहे हैं। कमाल है!”
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इन नेताओं ने लिखी थी चिट्ठी
सोनिया गांधी को भेजी गई चिट्ठी में राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद के अलावा पूर्व केंद्रीय मंत्रियों- आनंद शर्मा, कपिल सिब्बल, मनीष तिवारी, शशि थरूर, सांसद विवेक तनखा, AICC और CWC के मुकुल वासनिक और जितिन प्रसाद के नाम हैं। इसके अलावा पूर्व मुख्यमंत्रियों भूपिंदर सिंह हुड्डा, राजेंद्र कौर भटट्ल, एम वीरप्पा मोइली, पृथ्वीराज चव्हाण, पीजे कुरियन, अजय सिंह, रेणुका चौधरी और मिलिंद देवड़ा के भी पत्र पर हस्ताक्षर हैं। प्रदेश कमेटियां संभाल चुके राज बब्बर, अरविंदर सिंह लवली और कौल सिंह ने भी चिट्ठी को समर्थन दिया है। इसके अलावा अखिलेश प्रसाद सिंह, कुलदीप शर्मा, योगानंद शास्त्री और संदीप दीक्षित के भी हस्ताक्षर हैं।