पंजाब मंत्रीमंडल ने प्री-प्राईमरी अध्यापकों के 8393 पद भरने की मंज़ूरी, वॉलंटियरों को भर्ती में मिलेगी छूट

Daily Samvad
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डेली संवाद, चंडीगढ़
पंजाब मंत्रीमंडल द्वारा 8393 प्री-प्राईमारी अध्यापकों के पद भरने को मंज़ूरी दे दी गई है जिस बारे मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि इससे प्री-प्राईमारी सरकारी स्कूलों में दाखि़लों की संख्या बढ़ेगी और वह निजी संस्थाओं के साथ और ज्यादा असरदार ढंग से मुकाबला कर सकेंगे।

कैबिनेट द्वारा यह भी फ़ैसला किया गया कि प्री-प्राईमारी अध्यापकों की भर्ती के समय शिक्षा विभाग में काम करते मौजूदा तजुर्बेकार वॉलंटियरों को विशेष प्राथमिकता और उम्र में छूट दी जाये। कैबिनेट की तरफ से प्री-प्राईमारी स्कूल अध्यापकों के लिए विभागीय सेवा नियमों को भी मंजूरी दे दी गई।

मुख्यमंत्री ने वर्चुअल कैबिनेट मीटिंग की अध्यक्षता करते हुए बताया कि हालाँकि इस समय कुल 12000 प्री-प्राईमारी अध्यापकों की ज़रूरत है परन्तु राज्य की वित्तीय स्थिति देखते हुए वित्त विभाग इन सभी पदों के लिए भर्ती नहीं कर सकता। सरकारी स्कूलों में प्री-प्राईमारी अध्यापन प्रणाली को मज़बूत करने की ज़रूरत पर ज़ोर देते हुए उन्होंने कहा कि बाकी रहती भर्ती जल्द ही पूरी करने के लिए समूचे यत्न किये जाएंगे।

रैशनेलाईज़ेशन यकीनी बनाई जायेगी

मुख्यमंत्री कार्यालय के एक प्रवक्ता ने बताया कि प्री-प्राईमारी स्कूल अध्यापकों के इन 8393 पदों के लिए मौजूदा समय में 30 विद्यार्थियों के पीछे एक अध्यापक की नियुक्ति का अनुमान लगाया गया है। स्कूल शिक्षा विभाग की तरफ से इन अध्यापकों के पदों के लिए इश्तिहार देने से पहले पूर्ण रूप में रैशनेलाईज़ेशन यकीनी बनाई जायेगी।

कैबिनेट की तरफ से स्कूल शिक्षा विभाग के उस प्रस्ताव को भी मंज़ूरी दे दी गई जिसके अंतर्गत वॉलंटियरों जैसे कि शिक्षा प्रोवाईडरों /एजुकेशन प्रोवाईडरों /एजुकेशन वॉलंटियरों, ई.जी.एस. वॉलंटियरों, ए.आई.ई. वॉलंटियरों और स्पेशल ट्रेनिंग रिसोर्स (एस.टी.आर.) वॉलंटियरों आदि को अधिकतम आयु सीमा में छूट दी जायेगी जोकि अलग-अलग शिक्षा स्कीमों /प्रोग्रामों के अंतर्गत निश्चित मेहनताने पर काम कर रहे हैं और विभाग की तरफ से प्री-प्राईमरी अध्यापकों या ई.टी.टी. अध्यापकों की रेगुलर भर्ती हेतु इश्तिहार देने के समय तक काफ़ी ज़्यादा तजुर्बा हासिल कर चुके हैं। इसके अलावा ऐसे वॉलंटियरों को अधिक से अधिक 10 अंकों की सीमा तक 1 अंक प्रति वर्ष के हिसाब से विशेष प्राथमिकता दी जा सकती है।

सालाना 374.20 करोड़ रुपए का वित्तीय खर्चा

इन 8393 अध्यापकों के परखकाल के समय तक अर्थात पहले तीन वर्षों तक सालाना 103.73 करोड़ रुपए का ख़र्च आएगा जबकि इनकी तरफ से परखकाल का समय पूरा करने के बाद सालाना 374.20 करोड़ रुपए का वित्तीय खर्चा होगा। ध्यान देने योग्य है कि बच्चों के मुफ़्त और अनिवार्य शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 (आर.टी.ई.) के अंतर्गत 6-14 वर्षों के उम्र वर्ग में आते हर बच्चे को मुफ़्त और अनिवार्य शिक्षा का उसके पड़ोस के स्कूल में एलिमेंट्री स्तर तक हासिल करने का अधिकार है। हालाँकि, 3-6 वर्षों के उम्र वर्ग के अंतर्गत आते प्री-प्राइमरी स्कूली बच्चों की शिक्षा आर.टी.ई. ऐक्ट के अंतर्गत अनिवार्य नहीं है परन्तु इसको संविधान के आर्टीकल 45 (निर्देशक सिद्धांत) में शामिल किया गया है जिसके अंतर्गत 6 वर्षों की उम्र पूरी होने तक हर बच्चे को संभाल और शिक्षा की ज़रूरत है।

सरकारी स्कूलों में बच्चों का दाखिला 2019-20 और 2020-21 को छोडक़र साल दर साल कम हो रहा है। सरकारी स्कूलों में बच्चों के घटते दाखि़लों के पीछे कई कारणों में से एक यह है कि माता-पिता द्वारा छोटी उम्र अर्थात 6 वर्ष से कम में ही अपने बच्चों को स्कूल भेज दिया जाता है जबकि आर.टी.ई. ऐक्ट के अनुसार और पहले सामने लाई जा चुकी सरकारी नीति के अनुसार 6 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को सरकारी स्कूलों में दाखि़ल नहीं किया जा सकता।

यह महसूस करते हुए कि समूचे रूप में बच्चों के बचपन के दौरान प्राथमिक संभाल और शिक्षा की ज़रूरत है, कैबिनेट की तरफ से मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह की अध्यक्षता में हुई 20 सितम्बर, 2017 की मीटिंग में सभी सरकारी प्राइमरी स्कूलों में 3-6 साल वर्ग के बच्चों को शिक्षा देने के लिए प्री-प्राईमरी क्लासें शुरू करने को मंज़ूरी दे दी गई थी जिसकी शुरुआत नवंबर 14, 2017 को राज्य के सभी प्राईमरी स्कूलों में हो गई थी।















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