चंडीगढ़। केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों को बेअसर करने के लिए पंजाब विधानसभा के विशेष सत्र के दूसरे और अंतिम दिन मंगलवार को चार विधेयक सर्वसम्मति से पारित किए गए। इसके साथ ही पंजाब ऐसा करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है। इन विधेयकों में गेहूं और धान की बिक्री या खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से कम करने पर कम से कम तीन वर्ष की कैद और जुर्माने का प्रावधान है।
किसानों को 2.5 एकड़ तक की जमीन की कुर्की से छूट दी गई है और कृषि उत्पादों की जमाखोरी व काला बाजारी से छुटकारा पाने की व्यवस्था भी की गई है। इसके अलावा सदन में केंद्र के बिजली अध्यादेश के खिलाफ भी प्रस्ताव पास किया गया। इसके बाद मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह भाजपा को छोड़कर बाकी सभी दलों के विधायकों के साथ विधेयकों की प्रतियां राज्यपाल वीपी सिंह बदनौर को सौंपने पंजाब राजभवन पहुंचे।
पहले राज्यपाल फिर राष्ट्रपति के पास जाएंगे विधेयक
अकाली नेता बिक्रम सिंह मजीठिया के एक सवाल के जवाब में कैप्टन ने कहा कि ये विधेयक राज्यपाल के पास जाएंगे, जो उन्हें मंजूर या नामंजूर कर सकते हैं। इसके बाद उन्हें राष्ट्रपति के पास जाने की जरूरत होगी। वे भी इन्हें मंजूर या नामंजूर कर सकते हैं। नामंजूर होने पर ‘पंजाब टर्मिनेशन ऑफ वाटर एग्रीमेंट्स एक्ट’ के मामले की तरह ही राज्य सरकार केंद्रीय कानूनों के विरुद्ध अपनी जंग को कानूनी तौर पर लड़ना जारी रखेगी। इसके लिए वकीलों और माहिरों की एक टीम तैयार है। उधर, पंजाब राजभवन के बाहर मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने राष्ट्रपति से
सदन में विधेयकों पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए विरोधी पक्ष के नेता और आप विधायक हरपाल सिंह चीमा ने सुझाव रखा कि अगर केंद्र सरकार एमएसपी पर किसानों की फसल नहीं खरीदती तो राज्य सरकार को एमएसपी पर फसल खरीदनी चाहिए। इस पर मुख्यमंत्री ने आप नेता से पूछा कि क्या वे ऐसे कदम से राज्य सरकार पर पड़ने वाले वित्तीय प्रभाव से वाकिफ हैं?
कैप्टन ने कहा कि अकेले गेहूं की फसल खरीदने के लिए 25 हजार करोड़ रुपये की जरूरत होगी, जबकि धान खरीदने के लिए अलग से पैसा चाहिए। पंजाब का इतना बड़ा बजट नहीं है। उन्होंने आप नेता द्वारा दिए सुझाव को अनुचित बताते हुए कहा कि यदि इस तरह उपज की खरीद भी की जाती है तो राज्य उपज कहां बेचेगा।
मैं अपना इस्तीफा जेब में ही रखता हूं : कैप्टन
केंद्र सरकार द्वारा पंजाब में राष्ट्रपति शासन लागू किए जाने की संभावना के संबंध में कैप्टन ने कहा, इंतजार करके देखते हैं…. हम कदम दर कदम आगे बढ़ेंगे। यदि ऐसी नौबत आ गई तो केंद्र सरकार को मुझे बर्खास्त करने की जरूरत नहीं पड़ेगी क्योंकि मैं अपना इस्तीफा जेब में ही रखता हूं। पंजाब और किसानों के हितों के साथ समझौता करने की जगह मैं स्वेच्छा से इस्तीफा दे दूंगा।