मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने नवजोत सिद्धू को अपने घर लंच पर बुलाया
महाबीर जायसवाल
@mahabirjaiswal
पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने सत्ता और संगठन में हाशिए पर चल रहे पूर्व मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू को आखिरकार अपने घर लंच पर आमंत्रित किया है। कैप्टन की लंच डिप्लोमैसी को लेकर सत्ता के गलियारों में तरह-तरह की चर्चाएं शुरू हो गई है। कोई इसे केंद्र सरकार के किसान बिल के विरोध में पंजाब में कांग्रेस को एकजुट होने की बात कह रहा है तो कोई इसे पंजाब के कांग्रेस प्रभारी हरीश रावत की कूटनीति बता रहा है। इस लंच के बुलावे पर भाजपा और आम आदमी पार्टी की कैप्टन की ‘थाली’ और सिद्धू की ‘वाणी’ पर नजर रहेगी।

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पंजाब में नवजोत सिंह सिद्धू वह चेहरा है, जो आने वाली राजनीति का बादशाह माना जा रहा है। पंजाब में कांग्रेस के पास कैप्टन के बाद सिद्धू ही एक ऐसा प्रभावशाली चेहरा है, जिसके दम पर पूरा चुनाव लड़ा जा सकता है। यही नहीं, मौजूदा समय में पंजाब में न तो भाजपा के पास कोई प्रभावशाली चेहरा है और न ही अकाली दल के पास कोई बड़ा नेता। अकाली दल में अगर प्रकाश सिंह बादल को छोड़ दिया जाए तो सुखबीर बादल में वह आकर्षण नहीं है, जिससे पार्टी कार्यकर्ता व जनता उनसे दिल से जुड़ सके।
कुछ ऐसा ही हाल आम आदमी पार्टी का है। आम आदमी पार्टी दिल्ली के बाद अपनी पूरी ताकत पंजाब में झोंक रही है। लेकिन अरविंद केजरीवाल के पास भी कोई बड़ा चेहरा नजर नहीं आ रहा है। एक समय में तो यह कहा जा रहा था कि अरविंद केजरीवाल खुद दिल्ली से आकर पंजाब संभालेंगे। लेकिन आज तक ऐसा नहीं हुआ।
राजनीति में सबसे बड़ा चेहरा नवजोत सिंह सिद्धू
कांग्रेस में कैप्टन और अकाली दल में प्रकाश सिंह बादल को छोड़ दें, तो पंजाब की राजनीति में सबसे बड़ा चेहरा नवजोत सिंह सिद्धू का है। सिद्धू भाजपा छोड़कर कांग्रेस आए थे। वह भी सुखबीर बादल औऱ बिक्रम मजीठिया की वजह से। कांग्रेस जब 2017 में पंजाब की सत्ता में वापस आई तो नवजोत सिद्धू को लेकर राहुल गांधी खासे उत्साहित थे, यहां तक कि चर्चाएं शुरू हो गई थी कि राहुल गांधी कहीं नवजोत सिद्धू को पंजाब की कमान न सौंप दें। लेकिन यह महज चर्चा ही रह गई। क्योंकि उस वक्त कैप्टन की डिनर डिप्लोमैसी सबसे कारगर साबित हुई थी।
FLASH: Punjab CM @capt_amarinder has invited Navjot Singh Sidhu for lunch tomorrow (Nov 25). He & @sherryontopp are expected to discuss state & national politics over the luncheon meeting. pic.twitter.com/ZhonhvuE9I
— Raveen Thukral (@Raveen64) November 24, 2020
कहा तो यह भी जा रहा था कि अगर राहुल गांधी, नवजोत सिद्धू को बतौर मुख्यमंत्री पेश करेंगे तो कैप्टन अमरिंदर सिंह अपने 40 विधायकों के साथ अलग ही पार्टी बनाकर या संभवता भाजपा के बैनर तले मुख्यमंत्री बन जाएं। लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। भारी दबाव में कैप्टन मंत्रीमंडल में नवजोत सिंह सिद्धू को स्थानीय निकाय मंत्री जैसा भारीभरकम पद दे तो दिया गया, लेकिन कैप्टन ने उनकी कभी नहीं बनी। नतीजन सिद्धू को मंत्री पद से इस्तीफा भी देना पड़ गया।
सिद्धू को मंत्री और विधायक भी पसंद नहीं करते
मंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद हाशिए पर चल रहे नवजोत सिंह सिद्धू पिछले दिनों राहुल गांधी की एक रैली में कैप्टन के साथ फिर मंच पर दिखे, लेकिन तल्खी वही पुरानी वाली थी। यही नहीं, सिद्धू को पंजाब के मंत्री और विधायक भी पसंद नहीं करते हैं, जिससे गाहे-बगाहे सिद्धू के विरोध में कैप्टन के मंत्री व विधायक बोलते ही रहते हैं। इस सबके इतर, साल 2022 के विधानसभा चुनाव में फिर से सत्ता में काबिज होने के लिए मान-मनौव्वल के लिए हरीश रावत जैसे वरिष्ठ नेता को पंजाब में तैनात किया गया है। (लेखक- डेली संवाद के सलाहकार संपादक है।)







