किसानों में फूट, दो यूनियन हुई आंदोलन से बाहर, राकेश टिकैत पर लगाया गंभीर आरोप

Daily Samvad
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farmer protest

नई दिल्ली। 26 जनवरी को दिल्ली में ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा के बाद पुलिस ने 6 किसान नेताओं पर FIR दर्ज की और 200 उपद्रवियों को हिरासत में लिया। इस एक्शन के कुछ देर बाद ही किसान संगठनों के आंदोलन से हटने का सिलसिला शुरू हो गया। शाम करीब साढ़े चार बजे राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन ने खुद को आंदोलन से अलग कर लिया। इसके करीब 15 मिनट बाद भारतीय किसान यूनियन (भानु) ने भी आंदोलन से हटने का ऐलान किया।

राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन के चीफ वीएम सिंह ने कहा कि दिल्ली में जो हंगामा और हिंसा हुई, उसकी जिम्मेदारी भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत को लेनी चाहिए। वहीं, भारतीय किसान यूनियन (भानु) के अध्यक्ष भानुप्रताप सिंह बोले कि मैं अभी इस धरने को खत्म करता हूं। किसान हल चलाता है, कुछ लोगों ने उन्हें पागल बना दिया। वे किसी ऐसे नेता के चक्कर में न पड़ें, जो अपना नाम बनाने के लिए देशविरोधी गतिविधियों में लिप्त हैं।

राकेश टिकैत समेत 6 किसान नेताओं पर केस; हिरासत में 200 उपद्रवी

ट्रैक्टर रैली में हुए उपद्रव पर दिल्ली पुलिस आज सुबह से ही एक्शन में है। अब तक 200 उपद्रवियों को हिरासत में लिया जा चुका है। पुलिस ने हिंसा, तोड़फोड़ और नियम तोड़ने की घटनाओं पर 22 FIR दर्ज की हैं। इनमें जानलेवा हमले, डकैती, सरकारी काम में रुकावट डालने और नियम तोड़ने जैसी धाराएं लगाई गई हैं।

एक FIR में 6 किसान नेताओं के नाम भी शामिल हैं। ये नेता- राकेश टिकैत, दर्शन पाल, राजिंदर सिंह, बलबीर सिंह राजेवाल, बूटा सिंह बुर्जगिल और जोगिंदर सिंह हैं। इनके खिलाफ ट्रैक्टर रैली की शर्तें तोड़ने का केस दर्ज किया गया है। इन नेताओं ने उस NOC पर साइन किए थे, जो पुलिस ने ट्रैक्टर रैली के लिए जारी की थी।

पुलिस का दावा- प्रदर्शनकारियों ने शराब पी रखी थी

पुलिस का कहना है कि मंगलवार को ट्रैक्टर रैली के दौरान हुई हिंसा में 300 जवान घायल हुए हैं। साथ ही कहा कि प्रदर्शनकारियों ने सुरक्षाबलों से आंसू गैस के गोले छोड़ने वाली गन छीन ली थी। यह गन लाल किले में एक प्रदर्शनकारी के पास देखी गई। उधर, उत्तर दिल्ली के कार्यवाहक DCP संदीप ने बताया, ‘कई हिंसक लोग अचानक लाल किले पहुंच गए। वे किसान थे या फिर जो भी थे, उन्होंने शराब पी रखी थी। उन्होंने हम पर तलवारों और दूसरे हथियारों से हमला कर दिया। स्थिति लगातार बिगड़ रही थी और हिंसक भीड़ को काबू करना हमारे लिए मुश्किल हो गया था।’















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