जालंधर, लुधियाना समेत पंजाब के इन नगर निगमों को बड़ी वित्तीय राहत, पढ़ें कैबिनेट का फ़ैसला

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डेली संवाद, चंडीगढ़
सरकार की तरफ से जिलों में चलाए जा रहे पशुओं के वाड़े (केटल पाऊंडज) को और सुचारू ढंग से चलाने और आवारा पशुओं की समस्या का ठोस हल करने के लिए मंत्रीमंडल की तरफ से बुधवार को इन केटल पाऊंडज को सार्वजनिक-निजी हिस्सेदारी के द्वारा चलाए जाने को मंजूरी दे दी गई। मंत्रीमंडल की तरफ से मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह को नई नीति में जरूरत के अनुसार कोई भी संशोधन करने के लिए पूरे अधिकार दे दिए गए हैं।

मुख्यमंत्री कार्यालय के एक प्रवक्ता के अनुसार इन केटल पाऊंडज (अमृतसर और फिरोजपुर को छोड़ कर) को पी.पी.पी. ढंग से चलाए जाने से राज्य पर कोई वित्तीय बोझ नहीं पड़ेगा क्योंकि अलग-अलग मंजूरशुदा गतिविधियों के द्वारा यह केटल पाऊंडज अपेक्षित राजस्व इकट्ठा करके स्वै-निर्भर हो जाएंगे।

‘एक्सप्रेशन आफ इंट्रस्ट’ को भी मंजूरी दे दी गई

इस फैसले के मुताबिक मंत्रीमंडल की तरफ से इच्छुक एन.जी.ओज./सोसाईटियों/संगठनों/निजी व्यक्ति/सर्विस प्रोवाईडरों/कंपनी/ट्रस्टों से शर्त सहित माँग जाने वाले ‘एक्सप्रेशन आफ इंट्रस्ट’ को भी मंजूरी दे दी गई। पी.पी.पी. ढंग अपनाने और ‘एक्सप्रेशन आफ इंट्रस्ट’ माँगे जाने का फैसला कैबिनेट सब-कमेटी, जोकि सितम्बर 2019 में गठित की गई थी, के द्वारा आवारा पशुओं की समस्या से निपटने के लिए जुलाई 2020 में लिया गया था।

जिक्रयोग्य है कि पंजाब में 20 केटल पाऊंडज (गाँवों के निवासियों की तरफ से अदालतों में मामले दायर किये जाने के कारण अमृतसर और फिरोजपुर के बिना) स्थापित किये गए हैं जिनमें 10,024 आवारा पशुओं की संभाल की जाती है। सरकार की तरफ से समय-समय पर इन केटल पाऊंडज के निर्माण और आवारा पशुओं के रख-रखाव लिए 4385.35 लाख रुपए जारी किये गए हैं। वास्तविक योजना के अनुसार छह केटल शैड बनाए जाने थे जिनसे इनकी संख्या 132 (22ग्6) होनी थी परन्तु अभी तक 20 जिलों में 76 शैड ही बनाए जा सके हैं जबकि 56 का निर्माण अभी बाकी है।




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