नई दिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पंजाब के किसानों पर गंभीर आरोप लगाए हैं। गृह मंत्रालय ने पंजाब की मुख्य सचिव और डीजीपी को भेजे पत्र में कहा है कि राज्य के सीमांत जिलों के किसान उत्तर प्रदेश और बिहार से आने वाले खेत मजदूरों को पहले नशे का आदी बनाते हैं फिर उन्हें बंधक बनाकर अपने खेतों में अमानवीय तरीके से काम कराते हैं। पत्र में राज्य सरकार से कहा है कि वह इस संबंध में कार्रवाई कर गृह मंत्रालय को रिपोर्ट सौंपे।
गृह मंत्रालय ने पत्र में कहा है कि बीएसएफ की पूछताछ में खुलासा हुआ है कि पंजाब के सीमांत जिलों गुरदासपुर, अमृतसर, फिरोजपुर और अबोहर में यूपी और बिहार राज्यों से आने वाले मजदूरों से किसान बंधुआ मजदूरी करा रहे हैं। बीएसएफ ने 2019 व 2020 के दौरान 58 बंधक मजदूरों को छुड़ाकर पंजाब पुलिस के हवाले किया है। हालांकि पत्र में आरोपों के बारे में कोई तथ्यात्मक दस्तावेज या शिकायत की जानकारी नहीं भेजी गई है।
पंजाब-यूपी के आंदोलनकारी किसानों में फूट डालने की कोशिश बताया
पत्र के मुताबिक मजदूरों को अक्सर नशा देकर खेतों में काम करवाया जाता है। तय समय से भी ज्यादा काम करवाकर उन्हें मजदूरी भी नहीं दी जाती। पंजाब के सीमांत जिलों में खेतों में काम करने वाले ज्यादातर मजदूर यूपी और बिहार के पिछड़े इलाकों और गरीब परिवारों से संबंधित हैं। मानव तस्करी करने वाले गिरोह ऐसे मजदूरों को अच्छे वेतन का लालच देकर पंजाब लाते हैं लेकिन पंजाब पहुंचने पर उनका शोषण किया जाता है। उनसे अमानवीय व्यवहार किया जाता है। पत्र में गृह मंत्रालय ने पंजाब के किसानों पर मानवाधिकारों का उल्लंघन करने का आरोप लगाते हुए राज्य सरकार से मांग की है कि वह इस संबंध में कार्रवाई कर मंत्रालय को रिपोर्ट सौंपे।
इस संबंध में जब पंजाब के सीएमओ (मुख्यमंत्री कार्यालय) के एक अधिकारी को गृह मंत्रालय का पत्र दिखाते हुए जानकारी मांगी गई तो उन्होंने केवल इतना ही कहा कि इस संबंध में राज्य सरकार जवाब देगी। उन्होंने कहा कि पत्र में किसी भी घटना के तथ्यों की जानकारी नहीं दी गई, न ही कोई सुबूत पेश किया गया है। 2019 और 2020 के मामलों पर इतनी देर बाद मार्च 2021 में रिपोर्ट मंगाना भी अजीब है। यह पत्र मौजूदा किसान आंदोलन के कारण भेजा गया है। यह सूबे के किसानों को बदनाम करने की कोशिश है। यह पंजाब व यूपी के आंदोलनकारी किसानों में फूट डालने की कोशिश से अधिक कुछ नहीं लगता।