रेमडेसिविर की कालाबाजारी में प्रख्यात न्यूरो सर्जन सहित 3 गिरफ्तार, 36 लाख रुपये भी बरामद

Daily Samvad
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गाजियाबाद। गाजियाबाद पुलिस और अपराध शाखा की टीम ने कोरोना काल में दिल्ली-एनसीआर में रेमडेसिविर (Remdesivir) इंजेक्शन की कालाबाजारी करते देश के प्रख्यात न्यूरो सर्जन मो. अल्तमश और उनके दो साथियों को गिरफ्तार किया है। हजरत निजामुद्दीन के रहने वाले डॉ. अल्तमश लंबे समय तक एम्स में अपनी सेवाएं दे चुके हैं और उनके देश के कई बड़े नेताओं के साथ अच्छे संबंध हैं। पुलिस ने इनके कब्जे से 70 रेमडेसिविर इंजेक्शन के अलावा दो अक्टेमरा इंजेक्शन व 36 लाख दस हजार रुपये नकद और एक लग्जरी कार भी बरामद की है।

अपराध शाखा प्रभारी इंस्पेक्टर संजय पांडेय ने बताया कि डॉक्टर के इस गिरोह की सूचना तीन दिन पहले पुलिस को मिली थी। एक पीड़ित व्यक्ति ने बताया था कि उसने इस गिरोह से 48 हजार रुपये में एक इंजेक्शन खरीदा है। इस सूचना के बाद पुलिस टीम गिरोह के पीछे पड़ गई और कैला भट्ठा में रहने वाले डॉक्टर के साथी कुमैल अकरम को दबोच लिया। इससे पूछताछ में पता चला कि उसे इंदूवाड़ा दिल्ली का रहने वाला जाजिब इंजेक्शन उपलब्ध कराता है। इसके बाद पुलिस ने जाजिब को भी गिरफ्तार कर लिया और उसी की निशानदेही पर डॉ. अल्तमश को गिरफ्तार किया गया।

डॉक्टर ने दिखाई अपने पहुंच की धौंस

पुलिस टीम ने जब डॉ. अल्तमश को पकड़ा तो आरोपी डॉक्टर ने पहले तो अपनी ऊंची पहुंच की धौंस दिखाई। बताया कि देश के तमाम बड़े नेताओं और केंद्र सरकार के मंत्रियों से उसके संबंध हैं, लेकिन जैसे ही पुलिस ने थोड़ी कड़ाई की, आरोपी डॉक्टर की सारी हेकड़ी निकल गई। उसने न केवल गुनाह कबूल कर लिया, बल्कि अपनी गाड़ी में से इन जीवन रक्षक दवाओं की खेप भी बरामद करा दी। पुलिस ने गाड़ी समेत सारा माल कब्जे में ले लिया है।

नगर कोतवाल संदीप कुमार सिंह ने बताया कि डॉक्टर अपने नाम पर एम्स से दवाओं को निकलवा कर अपने साथियों को देता था। इसके बाद आरोपी जाजिम अपने साथी कुमैल के साथ मिलकर इसे गाजियाबाद, नोएडा, फरीदाबाद और गुरुग्राम में ले जाकर बेचते थे। उन्होंने बताया कि यहां पर आरोपी एक इंजेक्शन 40 से 50 हजार रुपये में बेचते थे।

एक दिन में कमाए 36 लाख रुपये

पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, डॉक्टर ने केवल रेमडेसिविर की कालाबाजारी कर महज एक दिन में 36 लाख 10 हजार रुपये कमाए थे। इसके अलावा करीब 50 लाख रुपये आरोपी डॉक्टर ने कुछ अन्य लोगों को भी दिए हैं। यह सारे रुपये कालाबाजारी से ही जुटाए गए हैं। पुलिस को आशंका है कि इस गिरोह में एम्स के कुछ अन्य अधिकारी व कर्मचारी भी शामिल हो सकते हैं। पुलिस उनकी पहचान का प्रयास कर रही है।




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