नई दिल्ली। दिल्ली में ऑक्सिजन की कमी का मामला अदालत तक पहुंचा, पर मौतों का सिलसिला रोका नहीं जा सका। दिल्ली के बत्रा अस्पताल में शनिवार को गैस्ट्रोएंट्रोलॉजी विभाग के प्रमुख सहित 12 कोरोना संक्रमित मरीजों की ऑक्सिजन की कमी के कारण मौत हो गई। इस बीच, वसंतकुंज स्थित फोर्टिस अस्पताल ने ऑक्सिजन की कमी के चलते मरीजों को भर्ती करना बंद कर दिया है। लोगों के मन में यही सवाल है कि आखिर दिल्ली में ऑक्सिजन की कमी कब खत्म होगी। कौन है इसके लिए जवाबदेह?
दूसरी तरफ ऑक्सिजन पर अब सियासत होने लगी है। इससे पहले बता दें कि शनिवार को ही बत्रा अस्पताल में मौतों का संज्ञान लेते हुए हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वह दिल्ली के लिए आवंटित पूरी ऑक्सिजन शनिवार को ही उपलब्ध कराए। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने घटना पर शोक व्यक्त किया।
इतनी कम ऑक्सिजन में दिल्ली कैसे सांस ले
उन्होंने ट्वीट किया, ‘ये खबर बहुत ही ज़्यादा पीड़ादायी है। इनकी जान बच सकती थी -समय पर ऑक्सिजन देकर। दिल्ली को उसके कोटे की ऑक्सिजन दी जाए। अपने लोगों की इस तरह होती मौतें अब और नहीं देखी जाती। दिल्ली को 976 टन ऑक्सिजन चाहिए और कल केवल 312 टन ऑक्सिजन दी गई। इतनी कम ऑक्सिजन में दिल्ली कैसे सांस ले?
बाद में बत्रा अस्पताल में ऑक्सिजन की कमी के कारण हुई मौतों पर भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने दिल्ली सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, ‘दिल्ली की जनता अरविंद केजरीवाल को माफ नहीं करेगी। केंद्र सरकार राज्यों को हर तरह का सहयोग दे रही है। क्या कारण है कि दिल्ली सरकार अस्पतालों को ऑक्सीजन नहीं पहुंचा पा रही है?’
बत्रा अस्पताल में एक बड़े डॉक्टर ने भी दम तोड़ा
इससे पहले बत्रा अस्पताल में आठ मरीजों की मौत की जानकारी दी गई थी। बत्रा अस्पताल के चिकित्सा निदेशक डॉक्टर एस सी एल गुप्ता ने कहा था कि ऑक्सिजन की कमी से मरने वाले आठ रोगियों में से छह रोगी आईसीयू में जबकि दो उच्च निर्भरता वार्डों में भर्ती थे। ऑक्सिजन की कमी से मरने वालों में अस्पताल के गैस्ट्रोएंट्रोलॉजी विभाग के प्रमुख आर के हिमतानी भी शामिल हैं।